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१०:४३, १४ जुलाई २०१८ के समय का अवतरण
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एफ़ेबी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 242 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | स्वर्गीय भोलानाथ शर्मा |
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एफ़ेबी का सामान्य आशय तरुणसमूह है, पर यूनान में इसका कानूनी अर्थ युवकों का सैन्य संगठन होता था। एथेंस में संभवतया (खाइरोनिया की पराजय के पश्चात्) ई.पू. 338 के आसपास यह नियम बना दिया गया था कि प्रत्येक नवयुवक (एफ़ेबस) को 18 वर्ष की अवस्था हो जाने पर नगरराष्ट्र के सैन्य संगठन में भर्ती होना पड़ेगा। एक वर्ष तक इन लोगों को सैनिक प्रशिक्षण दिया जाता था और इन दिनों उनको अत्यंत कठोर अनुशासन में रहना पड़ता था। एक कबीले के नवयुवक एक साथ ही रहते और भोजन करते थे। प्रशिक्षण की समाप्ति के पश्चात् इनको एक वर्ष तक दुर्गरक्षण और रक्षीचर्या का कार्य करना पड़ता था। इनके शारीरिक, सैनिक और नाविक (अर्थात् नौसैनिक) व्यायाम की शिक्षा के लिए छह शिक्षक नियुक्त किए जाते थे तथा ढाल प्रदान की जाती थी और वह शपथ लेता था कि वह अपने आयुधों को लजाएगा नहीं। उसका कर्तव्य था सार्वजनिक कार्यो तथा जनसंमिलनी में उपस्थित होना, यात्राओं में भाग लेना और अध्ययन करना। प्रशिक्षण काल में उसको छोटे केश धारण करने पड़ते थे और एक विशेष प्रकार की टोपी और छोटा अँगरखा पहनना पड़ता था तथा इस समय वह करों से मुक्त रहता था।
एथेंस में ई.पू. तीसरी सदी में युवकों की संख्या में ्ह्रास होने के कारण सैनिक शिक्षण और सेवा का काल घटाकर आधा, अर्थात् एक वर्ष कर दिया गया। एथेंस का अनुकरण कर अन्य नगरराष्ट्रों ने भी इस पद्धति को अपनाया। रोमन साम्राज्य काल में यह संस्था सांस्कृतिक संस्था भर रह गई थी और इसपर सरकारी नियंत्रण नहीं रहा।[१]।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं–अरिस्तू की राजनीति और एथेंस का संविधान भोलानाथ शर्मा द्वारा हिंदी अनुवाद, 1956 ई.