एफ़ेल
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एफ़ेल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 243 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
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एफ़ेल जर्मनी में राइन, मोजेल एवं लक्सेबर्ग की सीमाओं के मध्य स्थित एक जनपद (जिला) है। यह बंजर तथा रूक्ष पठारी प्रदेश है। इसका पूर्वी भाग हाई एफ़ेल (उच्च एफ़ेल) अधिकांशत: ऊँचा है। यहाँ बहुत से स्थान 2,000 फुट से अधिक ऊँचे हैं। पश्चिम में श्नाइफ़ेल है; दक्षिण में वॉरडर एफेल है जो अत्यंत रमणीक तथा वैज्ञानिक विशेषताओं के क्षेत्र है। यह जनपद 20 मील चौड़ा एवं 40 मील लंबा है और इसकी औसत ऊँचाई 1,500 फुट से 2,000 फुट तक है।
एफ़ेल परतदार मत्स्युगीन तथा अत्यंत प्राचीन चट्टानों का एक ठोस खंड है। इन घिसी हुई ठोस चट्टानों पर तृतीयक काल के बहुत से ज्वालामुखी शंकु स्थित हैं। उनमें से अधिकांश अब शांत किंतु आकार में पूर्ण हैं। विस्तृत एवं लगातार ज्वालामुखी क्षेत्र 'लाखर से' (लाखर झील) के चतुर्दिक् सुदूर पूर्व में न्यवीड एवं 'काब्लेंज' तक, फिर राईन के आगे तक विस्तृत है। बहुत से ज्वालामुखी पर्वतों के मुख अब झील हो गए हैं। इनको 'भार' कहते हैं। ये यहाँ के आकर्षणकेंद्र हैं। इनमें दो सबसे बड़ी तथा प्रसिद्ध झीलें, लाखर से एवं पुलवरमा, विशेष उल्लेखनीय हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ