"एल्बरफ़ील्ड" के अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
+ | {{भारतकोश पर बने लेख}} | ||
{{लेख सूचना | {{लेख सूचना | ||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
११:०३, १७ जुलाई २०१८ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
एल्बरफ़ील्ड
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 254 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्यामसुंदर शर्मा |
एल्बरफ़ील्ड जर्मनी का एक औद्योगिक नगर है। यह बुपर नदी की घाटी तक विस्तृत है। बार्मेन में सम्मिलित कर लेने के बाद इसका नाम बदलकर वुपरतल हो गया। शहर के मध्य भाग में टेढ़ी-मेढ़ी संकीर्ण गलियाँ हैं। बहुतेरे गंदे मकानों को तोड़कर भव्य भवन निर्मित हुए हैं। यहाँ एक अजायबघर और चिड़ियाखाना है। यह जर्मनी के वस्त्रोद्योग का एक मुख्य केंद्र है। यहाँ बिसातखाने की हर प्रकार की वस्तुएँ, रंग, अच्छे रासायनिक पदार्थ, रबड़ और चमड़े के सामन तथा कागज और काँच के सामान बनते हैं। द्वितीय महासमर काल में यह नगर लगातार बमबाजी के कारण प्राय: पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया था। पुनर्निर्माण कार्य युद्धोपरांत बड़ी तेजी से हुआ है। शीघ्र ही पूर्ववत् अवस्था में आ रही है।
वुपर नदी का स्वच्छ जल सूत धोने में बड़ा ही सहायक सिद्ध हुआ, इसलिए व्यापार और जनसंख्या बढ़ गई तथा सन् 1532 ई. में यह एक नगर बन गया था। सन् 1640ई. में इसके प्राचीर का निर्माण हुआ। सन् 1760 ई. में रेशम वस्त्रोद्योग चालू हुआ और लाल (टर्की रेड) रंग से सूत की रँगाई का काम होने लगा। तब से यह जर्मनी का एक प्रमुख वस्त्रोद्योगिक केंद्र बन गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ