एस्पिरिन

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:३४, १६ अप्रैल २०१७ का अवतरण ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
एस्पिरिन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 289
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक मोहनलाल गुजराल

ऐस्पिरिन का रासायनिक नाम ऐसिटाइल सैलिसिलिक ऐसिड है। यह प्रथम बार 1890 में बनाया गया। यह ज्वरनाशक तथा पीड़ानाशक है और चिकित्सा में मुख्यत: पीड़ोपचार में प्रयुक्त होता है। सिर दर्द, पैशिक तथा वातजन्य पीड़ा और जुकाम में यह उपयोगी है। कदावित्‌ यह सबसे अधिक प्रयुक्त तथा निर्दोष पीड़ानाशक द्रव्य है। 0.6 ग्राम की एक मात्रा के बाद पीड़ा से आराम शीघ्र होता है तथा दो, तीन घंटे तक इसका प्रभाव रहता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ