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कृष्ण (प्रथम) मान्यखेट के राष्ट्रकूट वंश का एक महान शासक जो लगभग 756 ई० में अपने भतीजे दंतिदुर्ग की मृत्यु के बाद 45 वर्ष की अवस्था में गद्दी पर बैठा और चालुक्यसम्राट कीर्तिवर्मा द्वितीय की शक्ति को समाप्त कर दक्षिणी भारत की प्रमुख राजनीतिक शक्ति बनने में सफलता प्राप्त की थी। उसने मैसूर के गंगों तथा वैंगी के पूर्वी चालुक्य के क्षेत्रों पर आक्रमण किए और आंध्र प्रदेश के अधिकांश भागों तथा दक्षिणी कोंकण को अपने अधिकार में कर लिया। उसने अपनी सफलताओं की सूचक शुभतंगु नामक उपाधि धारण की। उसका चिरस्थायी कार्य एलोरा के सुप्रसिद्ध कैलासमंदिर का निर्माण है जो अद्भुत वास्तु का एक नमूना है। 18 वर्षों तक शासन करने के बाद 773-74 ई० में कभी उसकी मृत्यु हुई।



टीका टिप्पणी और संदर्भ