"जुरैसिक युग" के अवतरणों में अंतर
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==जुरैसिक युग में पृथ्वी की अवस्था== | ==जुरैसिक युग में पृथ्वी की अवस्था== | ||
इस युग के प्रारंभ में बने सागरीय अतुल निक्षेपों से यह पता लगता है कि उस समय पृथ्वी का धरातल शांत था। परंतु जुरैसिक युग के अपराह्न में अनेक स्थानों पर समुद्री अतिक्रमणों के लक्षण व्यापक रूप से मिलते हैं। इनसे विदित होता है कि उस समय पृथ्वी पर अनेक विक्षोभ हुए, जिनके फलस्वरूप पृथ्वी के जल और स्थल के वितरण में भी परिवर्तन आए। इस युग में पृथ्वी का उत्तरी मध्यवर्ती एवं दक्षिणी भाग जलमग्न था। शेष भाग सूखा था। उत्तरी समुद्र उत्तरी अमरीका एवं ग्रीनलैंड के उत्तर से लेकर वर्तमान आर्कटिक सागर और साइबीरिया तक फैला था। यूरैल पर्वत के पश्चिमी भूभाग से इस समुद्र की एक शाखा इसको उस समय के भूमध्य सागर से मिलाती थी। वर्तमान भूमध्यसागर के विस्तार की तुलना में उस समय का समुद्र बहुत विशाल था और यथार्थ रूप से सारी पृथ्वी को घेरे था। इस सागर को टेथिस सागर कहते हैं। दक्षिणी समुद्र आस्ट्रेलिया महाद्वीप के दक्षिण से होता हुआ दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी प्रदेश तक फैला हुआ था। विद्वानों का अनुमान है कि भारत के उत्तरी प्रदेश से लेकर उत्तरी बर्मा, हिंदचीन एवं फिलिपीन से होता हुआ टेथिस सागर का ही एक भाग दक्षिणी सागर बनाता था। | इस युग के प्रारंभ में बने सागरीय अतुल निक्षेपों से यह पता लगता है कि उस समय पृथ्वी का धरातल शांत था। परंतु जुरैसिक युग के अपराह्न में अनेक स्थानों पर समुद्री अतिक्रमणों के लक्षण व्यापक रूप से मिलते हैं। इनसे विदित होता है कि उस समय पृथ्वी पर अनेक विक्षोभ हुए, जिनके फलस्वरूप पृथ्वी के जल और स्थल के वितरण में भी परिवर्तन आए। इस युग में पृथ्वी का उत्तरी मध्यवर्ती एवं दक्षिणी भाग जलमग्न था। शेष भाग सूखा था। उत्तरी समुद्र उत्तरी अमरीका एवं ग्रीनलैंड के उत्तर से लेकर वर्तमान आर्कटिक सागर और साइबीरिया तक फैला था। यूरैल पर्वत के पश्चिमी भूभाग से इस समुद्र की एक शाखा इसको उस समय के भूमध्य सागर से मिलाती थी। वर्तमान भूमध्यसागर के विस्तार की तुलना में उस समय का समुद्र बहुत विशाल था और यथार्थ रूप से सारी पृथ्वी को घेरे था। इस सागर को टेथिस सागर कहते हैं। दक्षिणी समुद्र आस्ट्रेलिया महाद्वीप के दक्षिण से होता हुआ दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी प्रदेश तक फैला हुआ था। विद्वानों का अनुमान है कि भारत के उत्तरी प्रदेश से लेकर उत्तरी बर्मा, हिंदचीन एवं फिलिपीन से होता हुआ टेथिस सागर का ही एक भाग दक्षिणी सागर बनाता था। | ||
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+ | |+ जुरैसिक युग के स्तरों का वर्गीकरण एवं सहसंबंध | ||
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+ | ! इंग्लैंड | ||
+ | ! फ्रांस | ||
+ | ! जर्मनी | ||
+ | ! भारत | ||
+ | |- | ||
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+ | परबेकियन | ||
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+ | किमरिजियन | ||
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+ | ऑक्सफोर्डियन | ||
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+ | | rowspan="3"| | ||
+ | {| | ||
+ | |- | ||
+ | ! स्पिटी | ||
+ | ! शिमला | ||
+ | ! कच्छ | ||
+ | ! राजस्थान | ||
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+ | <u>स्पिटी शेल्स</u> | ||
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+ | लोचंबेल | ||
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+ | चिडामू | ||
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+ | बेलमेनाई | ||
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+ | ताल? | ||
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+ | श्रेणी | ||
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+ | उमिया | ||
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+ | कंतरोला | ||
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+ | चारी | ||
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+ | पच्चम | ||
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+ | जैसलमेर | ||
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+ | बीकानेर | ||
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+ | बदसार | ||
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+ | परिहार आबूर | ||
+ | |- | ||
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+ | |- | ||
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+ | <u>कायटो श्रेणी</u> | ||
+ | |||
+ | सलकेक्यूटस | ||
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+ | टैगलिंग | ||
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+ | मेगालोडान | ||
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+ | |- | ||
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+ | कैलोवियन | ||
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+ | बैथोनियन | ||
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+ | बैजोसियन | ||
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+ | टोअरसियन | ||
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+ | साइन्स बेकियन | ||
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+ | सिनेमुरियन | ||
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+ | हिटेंगियन | ||
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१०:३७, ३१ जुलाई २०११ का अवतरण
जुरैसिक युग मध्यजीव कल्प के अंर्तगत तीन युग हैं, जिनमें जुरैसिक का स्थान मध्य में है। ब्रौंन्यार (Brongniart) ने सन् १८२९ में आल्प्स पर्वत की जुरा श्रेणी के आधार पर इस प्रणाली का नाम जुरैसिक रखा। विश्व के स्तरशैल विद्या (stratigraphy) में इस प्रणाली का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी के आधार पर विलियम स्मिथ ने, जो स्तरशैल विद्या के प्रणेता कहे जाते हैं, इस विद्या के अधिनियमों का निर्माण किया था।
जुरैसिक युग में पृथ्वी की अवस्था
इस युग के प्रारंभ में बने सागरीय अतुल निक्षेपों से यह पता लगता है कि उस समय पृथ्वी का धरातल शांत था। परंतु जुरैसिक युग के अपराह्न में अनेक स्थानों पर समुद्री अतिक्रमणों के लक्षण व्यापक रूप से मिलते हैं। इनसे विदित होता है कि उस समय पृथ्वी पर अनेक विक्षोभ हुए, जिनके फलस्वरूप पृथ्वी के जल और स्थल के वितरण में भी परिवर्तन आए। इस युग में पृथ्वी का उत्तरी मध्यवर्ती एवं दक्षिणी भाग जलमग्न था। शेष भाग सूखा था। उत्तरी समुद्र उत्तरी अमरीका एवं ग्रीनलैंड के उत्तर से लेकर वर्तमान आर्कटिक सागर और साइबीरिया तक फैला था। यूरैल पर्वत के पश्चिमी भूभाग से इस समुद्र की एक शाखा इसको उस समय के भूमध्य सागर से मिलाती थी। वर्तमान भूमध्यसागर के विस्तार की तुलना में उस समय का समुद्र बहुत विशाल था और यथार्थ रूप से सारी पृथ्वी को घेरे था। इस सागर को टेथिस सागर कहते हैं। दक्षिणी समुद्र आस्ट्रेलिया महाद्वीप के दक्षिण से होता हुआ दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी प्रदेश तक फैला हुआ था। विद्वानों का अनुमान है कि भारत के उत्तरी प्रदेश से लेकर उत्तरी बर्मा, हिंदचीन एवं फिलिपीन से होता हुआ टेथिस सागर का ही एक भाग दक्षिणी सागर बनाता था।
इंग्लैंड | फ्रांस | जर्मनी | भारत | ||||||||||||||||
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परबेकियन किमरिजियन ऑक्सफोर्डियन |
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कैलोवियन बैथोनियन बैजोसियन |
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टोअरसियन साइन्स बेकियन सिनेमुरियन हिटेंगियन |