"जुस्तिनिअन द्वितीय" के अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो (Text replace - "४" to "4")
छो (Text replace - "५" to "5")
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
*जुस्तिनिअन द्वितीय पूर्वी रोम साम्राज्य का शासक था।  
 
*जुस्तिनिअन द्वितीय पूर्वी रोम साम्राज्य का शासक था।  
*अपने पिता, कांसटेनटाइन चतुर्थ की मृत्यु के बाद सन्‌ ६८५ में वह सिंहासनारूढ़ हुआ।  
+
*अपने पिता, कांसटेनटाइन चतुर्थ की मृत्यु के बाद सन्‌ ६८5 में वह सिंहासनारूढ़ हुआ।  
 
*उसने अरबों पर सफलतापूर्वक आक्रमण किया किंतु बाद में उनसे संधि कर ली।  
 
*उसने अरबों पर सफलतापूर्वक आक्रमण किया किंतु बाद में उनसे संधि कर ली।  
*अनेक कूर कृत्यों के कारण तथा खर्चीले शासन के लिये प्रजा से धन वसूल करने में सख्ती करने से विद्रोह की आग भड़क उठी, जिससे ६९५ में उसके सेनापति लियोनटिअस ने उसे गद्दी से उतार दिया।  
+
*अनेक कूर कृत्यों के कारण तथा खर्चीले शासन के लिये प्रजा से धन वसूल करने में सख्ती करने से विद्रोह की आग भड़क उठी, जिससे ६९5 में उसके सेनापति लियोनटिअस ने उसे गद्दी से उतार दिया।  
*1५ हज़ार अश्र्वारोही सेना इकठ्ठी कर सन्‌ ७०4 में उसने कुस्तुनतुनियाँ पर हमला किया और पुन: सिंहासनारूढ़ हो गया।  
+
*15 हज़ार अश्र्वारोही सेना इकठ्ठी कर सन्‌ ७०4 में उसने कुस्तुनतुनियाँ पर हमला किया और पुन: सिंहासनारूढ़ हो गया।  
 
*उसकी क्रूरताओं के कारण एक बार फिर जनता में तथा सामान्य वर्ग में असंतोष व्याप्त हो गया और फिलिपिकस बार्डेस द्वारा उसका वध कर दिया गया।  
 
*उसकी क्रूरताओं के कारण एक बार फिर जनता में तथा सामान्य वर्ग में असंतोष व्याप्त हो गया और फिलिपिकस बार्डेस द्वारा उसका वध कर दिया गया।  
 
[[Category:हिन्दी_विश्वकोश]]
 
[[Category:हिन्दी_विश्वकोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०७:३६, १८ अगस्त २०११ का अवतरण

  • जुस्तिनिअन द्वितीय पूर्वी रोम साम्राज्य का शासक था।
  • अपने पिता, कांसटेनटाइन चतुर्थ की मृत्यु के बाद सन्‌ ६८5 में वह सिंहासनारूढ़ हुआ।
  • उसने अरबों पर सफलतापूर्वक आक्रमण किया किंतु बाद में उनसे संधि कर ली।
  • अनेक कूर कृत्यों के कारण तथा खर्चीले शासन के लिये प्रजा से धन वसूल करने में सख्ती करने से विद्रोह की आग भड़क उठी, जिससे ६९5 में उसके सेनापति लियोनटिअस ने उसे गद्दी से उतार दिया।
  • 15 हज़ार अश्र्वारोही सेना इकठ्ठी कर सन्‌ ७०4 में उसने कुस्तुनतुनियाँ पर हमला किया और पुन: सिंहासनारूढ़ हो गया।
  • उसकी क्रूरताओं के कारण एक बार फिर जनता में तथा सामान्य वर्ग में असंतोष व्याप्त हो गया और फिलिपिकस बार्डेस द्वारा उसका वध कर दिया गया।