नमुचि

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नमुचि नाम के दो प्रसिद्ध राक्षस हुए हैं। एक तो शुंभ निशुंभ का तीसरा भाई था जिसकी कथा वामन पुराण में हैं, दूसरा दानवों का राजा जिसका वध इंद्र ने धोखे से किया था। नमुचि डर के मारे छिपा था। लेकिन इंद्र ने नमुचि का सिर काट लिया तो कटा हुआ सिर इंद्र के पीछे उड़ने लगा। अंत में इंद्र भागकर ब्रह्मा की शरण में गए। ब्रह्मा की आज्ञा से इंद्र को प्रायश्चित्त स्वरूप सरस्वती की शाखा अरुण में स्नान करके यज्ञ करना पड़ा। उसी नदी में नमुचि का कटा सिर भी डाल दिया गया जिससे नमुचि को अक्षय लोक की प्राप्ति हुई। यह कथा विस्तारपूर्वक महाभारत में मिलती है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ