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(प्रभात जी की कविताओं में गुनगुनाहट है। शरारत है। भीनी-भीनी बाँकी खुशबू है। इन्द्रधनुषी रंगों क)
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*प्रभात जी की कविताओं में गुनगुनाहट है।
 
शरारत है। भीनी-भीनी बाँकी खुशबू है। इन्द्रधनुषी रंगों की भरमार है।
 
सबसे बड़ी बात उनकी कविताओं में बालपन-बालमन-बचपना और और भी बहुत कुछ दिखता भी है और महसूस भी होता है। एक बानगी :-
 
..........
 
चाँद नहाया बादल में,
 
रात नहाई काजल में,
 
तारे नीले अम्बर में,
 
नावें नील समन्दर में।
 

१३:५३, १५ अक्टूबर २०१३ के समय का अवतरण

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