उत्तापमापी
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
उत्तापमापी
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 81 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | नामवर सिंह |
उत्तापमापी (पायरोमीटर), ऊँचे ताप की माप करनेवाला यंत्र है। ये कई प्रकार के होते हैं-प्रकाशिक उत्तापमापी, विकिरण उत्तापमापी, प्रतिरोध उत्तापमापी, ताप-विद्युत्-उत्तापमापी और अवरक्त उत्तापमापी। यहाँ प्रकाशिक उत्तापमापी का वर्णन दिया जा रहा है।
प्रकाशिक उत्तापमापी में किसी मानक लैंप की तीव्रता को कम करके उत्तप्त पृष्ठ के प्रकाश की तीव्रता के बराबर कर ली जाती है। तीव्रता का समंजन करने के लिए लैंप के परिपथ में प्रतिरोध को बढ़ाया जाता है या कोई अवशोषक पदार्थ लैंप के सामने रखकर उसकी मोटाई का समंजन किया जाता है। आँख के सामने कोई रंगीन फिल्टर भी रख दिया जाता है ताकि किसी विशेष रंग के प्रकाश का ही उपयोग किया जा सके।
तीव्रताओं की तुलना किसी प्रकाशमापी विधि से की जा सकती है। प्राय: एक उत्तल लेंस द्वारा उत्तप्त पृष्ठ का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त किया जाता और ठीक वहीं लैंप का फिलामेंट रखा जाता है। जब फिलामेंट अदृष्ट हो जाए तब दोनों की तीव्रताएँ बराबर होंगी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ