एपिरस

अद्‌भुत भारत की खोज
Bharatkhoj (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित १०:०१, १४ जुलाई २०१८ का अवतरण
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
एपिरस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 242
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक ओंकारानाथ उपाध्याय

एपिरस उत्तर ग्रीस का प्राचीन जिला अथवा राज्य जो यवन सागर (आयोनिया सागर) के बराबर बराबर चला गया था–इलीरिया, मकदूनिया और थेसाली से लगा लगा। आज यह आल्बेनिया का दक्खिनी भाग है। इसका भूभाग पहाड़ी है और यह सदा की अपेक्षा अपने घोड़ों और मवेशियों के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसका प्राचीन इतिहास अंधकार के आवरण में छिपा है, यद्यपि अनुश्रुतियों में ई. पू. पाँचवीं सदी से ही इसके राजकुल का बखान होने लगा था। वहीं की राजकुमारी ओलिंपिया मकदूनिया के राजा फ़िलिप द्वितीय को ब्याही थी जो सिकंदर महान्‌ की माँ बनी। एपिरस के राजा अलेग्ज़ांदर ने मकदूनिया के आंतगोनस गोनातस को परास्त किया पर स्वयं उसे देमेत्रियस से हराकर अपना राज्य छोड़ भागना पड़ा। उसने लौटकर एपिरस फिर जीत लिया और शांतिपूर्वक मरा। ग्रीस के पतन के साथ एपिरस का भी पतन हो गया और वह भी रोमन साम्राज्य का प्रांत बन गया। महत्व की बात है कि एपिरस का अलेग्ज़ांदर (अलिकसुंदर) और उसका पराजित शत्रु मकदूनिया का आंतिगोनस गोनातस (अंतेकिन) दोनों भारत के अशोक महान्‌ के समकालीन थे। जिनका उल्लेख उसके द्वितीय शिलालेख में हुआ है। उनके देशों में उसने वानस्पतिक ओषधियाँ लगवाई थीं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ