गंगादेवी

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गंगादेवी चौदहवीं शती ई. की एक प्रख्यात कवयित्री थीं।

  • ये विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक बुक्क की पुत्रवधू और कृष्ण की पट्टमहिषी थीं।
  • उन्होंने संस्कृत में मथुरा विजय (वीरकंपराय चरित्र) नामक एक काव्य की रचना की थी इसमें उन्होंने अपने पति के पराक्रम का वर्णन किया है। किंतु वह मात्र यशोगान नहीं है।
  • काव्य की दृष्टि से भी उसका महत्व है। यह काव्य अपने पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं है। उसके केवल आठ सर्ग ही मिले हैं।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3|लेखक- परमेश्वर लाल गुप्त | पृष्ठ संख्या- 343