बरगद

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लेख सूचना
बरगद
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 192
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

बरगद, बर, बट या वट मोरेसी (Moraceae) या शहतूत कुल का पेड़ है। इसका वैज्ञानिक नाम 'फिकस वेनगैलेंसिस (Ficus bengalensis) और अंग्रेज़ी नाम बेनियन ट्री (Banyan tree) है। बेनियन इसलिए नाम पड़ा कि जब अंग्रेज इधर आए तो उन्होंने देखा कि इस पेड़ के नीचे बैठकर बनिए अपना कारबार करते थे। हिंदू लोग इस वृक्ष को पूजनीय मानते हैं। इसके दर्शन स्पर्श तथा सेवा करने से पाप दूर होता तथा दु:ख और व्याधि नष्ट होती है, अत: इस वृक्ष के रोपण और ग्रीष्म काल में इसकी जड़ में पानी देने से पुण्यसंचय होता है, ऐसा मानते हैं। उत्तर से दक्षिण तक समस्त भारत में वट वृक्ष उत्पन्न होते देखा जाता है। इसकी शाखाओं से बरोह निकलकर जमीन पर पहुंचकर स्तंभ का रूप ले लेती हैं। इससे पेड़ का विस्तार बहुत जल्द बढ़ जाता है।

विशेषता

भारत में बरगद के दो सबसे बड़े पेड़ कलकत्ते के राजकीय उपवन में और महाराष्ट्र के सतारा उपवन में हैं। शिवपुर के वटवृक्ष की मूल जड़ का घेरा 42 फुट और अन्य छोटे छोटे 230 स्तंभ हैं। इनकी शाखा प्रशाखाओं की छाया लगभग 1000 फुट की परिधि में फैली हुई है। सतारा के वट वृक्ष, 'कबीर वट', की परिधि 1,587 फुट और उत्तर-दक्षिण 565 फुट और पूरब-पश्चिम 442 फुट है। लंका में एक वट वृक्ष है, जिसमें 350 बड़े और 3000 छोटे छोटे स्तंभ हैं।

बरगद की छाया घनी, बड़ी शीतल और ग्रीष्म काल में आनंदप्रद होती है। इसकी छाया में सैकड़ों, हजारों व्यक्ति एक साथ बैठ सकते हैं। बरगद के फल पीपल के फल सदृश छोटे छोटे होते हैं। साधारणतया ये फल खाए नहीं जाते पर दुर्भिक्ष के समय इसके फलन पर लोग निर्वाह कर सकते हैं। इसकी लकड़ी कोमल और सरध्रं होती है। अत: केवल जलावन के काम में आती है। इसके पेड़ से सफेद रस निकलता है जिससे एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ तैयार होता है जिसका उपयोग बहेलिए चिड़ियों के फँसाने में करते हैं। इसके रस (आक्षीर), छाल, और पत्तों का उपयोग आयुर्वेदीय ओषधियों में अनेक रोगों के निवारण में होता है। इसके पत्तों को जानवर, विशेषत: बकरियाँ, बड़ी रुचि से खाती हैं। वृक्ष पर लाख के कीड़े बैठाए जा सकते हैं जिससे लाख प्राप्त हो सकती है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ