अंतरिक्ष संधि

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अंतरिक्ष संधि
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 51
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. कैलाश नाथ सिंह।

अंतरिक्ष संधि 27 जनवरी, 1967 को संयुक्त राज्य अमरीका, सोवियत संघ और ब्रिटेन ने बाह्य अंतरिक्ष में परमाणु शस्त्रास्त्र को निषिद्ध घोषित करने वाले समझौते पर हस्ताक्षर किए। दिसंबर, 1966 में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अनुमोदित संधि की शर्तों के अनुसार बाह्य अंतरिक्ष पर किसी भी देश की प्रभु सत्ता नहीं है और सभी देशों को अंतरिक्ष अनुसंधान की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है। इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देश बाह्य अंतरिक्ष का केवल शांतिमय उपयोग के लिए प्रयोग कर सकते हैं और चाँद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह सैनिक केंद्रों की स्थापना निषिद्ध है। चाँद तथा दूसरे ग्रहों पर किसी भी तरह के प्रतिष्ठान स्थापित करने वाले देश समुचित समय की सूचना के बाद दूसरे देशों को उनका निरीक्षण करने देंगे।

1963 की आंशिक परमाणु परीक्षण निषेध संधि के बाद की इस दूसरी निर्णायक संधि की शर्तों के अनुसार अंतरिक्ष में परमाणु शस्त्रास्त्र और सामूहिक विनाश के दूसरे साधनों से सुसज्जित उपग्रहों, अंतरिक्ष यानों आदि के छोड़ने पर प्रतिबंध है। यह संधि इस बात की भी व्यवस्था करती है कि त्रुटिवश किसी दूसरे देश के सीमा क्षेत्र में उतर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री उस देश को सौंप दिए जाएँगे जिसके कि वे होंगे। (कै. ना. सिं.)

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ