अर्माडा, इंग्लैंड

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लेख सूचना
अर्माडा, इंग्लैंड
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 246
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक डॉ. राजनाथ

अर्माडा प्रोटेस्टेंट मतावलंबी इंग्लैंड को, जिसे पोप सेक्स्तस्‌ पंचम ने स्पेन को प्रदान कर दिया था, नमस्तक करने तथा, संभवत: रानी एलिज़ाबेथ के विवाहप्रस्ताव अस्वीकार कर देने पर अपना रोष शांत करने के लिए कैथोलिक मतावलंबी स्पेन सम्राट् फिलिप द्वितीय ने इंग्लैंड पर आक्रमण करने का विशाल आयोजन किया। ऐडमिरल सांताक्रूज के अधिनायकत्व में 129 जहाज, 800 नाविक तथा 21,000 सैनिकों के विशाल बेड़े का निर्माण हुआ। इसे इन्विंसिंबुल (अजेय) अर्माडा की संज्ञा प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त अर्माडा के सहायतार्थ फ्लैडर्स में पार्मा के ड्यूक के नेतृत्व में 30,000 सैनिक नियुक्त किए गए। अंग्रेजी बेड़ा जहाजों और सैनिकों की संख्या में कम होते हुए भी, हॉवर्ड, ड्रेक, हाकिंस तथा फ्रोबिशिर ऐसे दक्ष अनुभवी नेताओं द्वारा संचालित था; उसके नाविक भी अधिक सक्षम और अनुभवी थे। अंग्रेजी जहाज छोटे होने के कारण स्पेनी जहाजों की अपेक्षा अधिक सुगमता और दक्षता से संचालित किए जा सकते थे। ड्रेक ने आरंभ में ही असीम साहस का परिचय दे कादिज़ बंदरगाह में घुस आक्रमण कर 'स्पेन के राज की दाढ़ी झुलस दी।' ऐडमिरल सांताक्रूज की भी मृत्यु हो गई। इससे अर्माडा का अभियान स्थगित हो गया। नवीन अधिनायक मदोना सीदोनिया अनुभवहीन नाविक था। प्रस्थान करने पर आंधी के कारण और भी आघात पड़ा। मदोना सीदोनिया ने पार्मा के ड्यूक की सहायता लिए बिना ही प्लाइमथ की ओर बढ़ने का निश्चय किया। सात मील चौड़ा व्यूह रचकर अर्धचंद्राकार अर्माडा जब प्लमथ के निकट आया तब ऐडमिरल हॉवर्ड ने प्लाइपथ से निकल अर्माडा के पृष्ठ पर दूर से ही आक्रमण कर एक के बाद एक जहाजों को ध्वस्त करना आरंभ कर दिया। 'उसने स्पेनियों' के एक-एक करके सारे पर उखाड़ डाले। जैसे-जैसे अर्माडा चैनल में बढ़ता गया वैसे-वैसे हफ्ते भर उसपर आग बरसती रही और उसे कैले में आश्रय लेना के लिए बाध्य होना पड़ा। तब आधी रात बीतने पर ड्रेक ने आठ जहाजों में बारूद जादि लाद, उनमें आग लगा बंदरगाह में छोड़ दिया। आतंकित होकर अर्माडा को बाहर निकलना पड़ा। ग्रेवलाइस के निकट छह घंटे के भीषण संघर्ष के फलस्वरूप अर्माडा को मैदान छोड़ भागना पड़ा। गोला बारूद की कमी के कारण अंग्रेजी जहाज अधिक पीछा न कर सके। किंतु रहा सहा काम प्रकृति ने पूरा कर दिया। उत्तरी समुद्रों में बवंडर के कारण अर्माडा की बची-खुची शक्ति नष्ट हो गई। ध्वस्त दशा में केवल 54 जहाज ही स्पेन पहुँच सके। 'इनविंसिबुल' (अजेय) शब्द का ऐसा उपहास इतिहास में कम ही हुआ होगा।[१]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं.ग्रं.-जे.ए. फ्रांडी : दि स्पैनिश स्टोरी ऑव दि अर्माडा ऐंड अदर एसेज़; सर जे.के. लाफ्टन : स्टेट पेपर्स रिलेटिंग टु दि डिफीट ऑव दि स्पेनिश अर्माडा; सर जे. कार्बेल्ट : ड्रेक ऐंड दि ट्यूडर नैवी; क्रीज़ी फिफ्टीन डिसाइसिव बैटिल्स; जे.आर. हेल्स : ग्रेट अर्माडा।