आवर्त नियम

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लेख सूचना
आवर्त नियम
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 451
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री निरंकार सिंह

आवर्त नियम रसायन शास्त्र का एक महत्वपूर्ण नियम है। 1869 ई. में रूस के प्रसिद्ध रसायनज्ञ मैंडलीफ ने इसका प्रतिपादन किया। इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं। अर्थात्‌ तत्वों को यदि उनके परमाणुभार के क्रम में रखा जाए उनके गुणधर्म की पुनरावृत्ति एक नियत क्रम में होती रहती है और समान रासायनिक गुणधर्मवाले तत्व एक निश्चित क्रम में मिलते हैं। अधिक परिशुद्धतापूर्वक विचार करने पर यह पता चला कि परमाणुभार के क्रम में तत्वों को रखने पर भी कुछ विषमताएं रह जाती हैं। आधुनिक अनुसंधानों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि परमाणु का मूलभूत गुण परमाणु संख्या है, परमाणुभार नहीं। अत: मोजले ने कहा कि तत्वों के वर्गीकरण का आधार भी परमाणुभार के स्थान पर परमाणु संख्या होनी चाहिए। उसके द्वारा प्रस्तुत आधुनिक आवर्त नियम निम्नलिखित है:

तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्याओं के आवर्ती फलन हैं। अर्थात्‌ यदि तत्वों को उनकी परमाणु संख्याओं के अनुसार रखा जाय तो समान गुणधर्मवाले तत्व नियमित अंतर के बाद पड़ते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ