कच

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  • कच देवताओं के गुरु बृहस्पति के पुत्र है।
  • देवासुर संग्राम में जब बहुत से असुर मारे गए तब दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें अपनी संजीवनी विद्या द्वारा पुनर्जीवित कर दिया।
  • यह देख बृहस्पति ने कच को शुक्राचार्य के पास यह संजीवनी विद्या सीखने भेजा।
  • शुक्राचार्य की कन्या देवयानी कच से प्रेम करने लगी और जब असुरों ने उनका वध करना चाहा तब उसने उन्हें बचाया।
  • अंत में देवयानी ने कच से विवाह का प्रस्ताव किया, पर कच ने इसे ठुकरा दिया।
  • तब देवयानी ने कच को शाप दे दिया कि तुम्हारी सीखी हुई विद्या तुम्हारे काम न आएगी।
  • इस पर कच ने भी देवयानी को शाप दिया कि कोई ब्राह्मण तुमसे विवाह न करेगा।
  • यह कथा विस्तारपूर्वक महाभारत के आदि पर्व में दी हुई है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 361।