कोलतुंग

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
लेख सूचना
कोलतुंग
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 175
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

कोलतुंग (1074-1123 ई.)। दक्षिण भारत का एक विख्यात नरेश। कोलतुंग राजेंद्र (द्वितीय) चालुक्यवंश में उत्पन्न हुआ था। उसने अपने मामा चोलनरेश अधिराजेंद्र के राज्य को अपने राज्य में सम्मिलित कर चालुक्य-चोल का सम्मिलित राज्य स्थापित किया और इस प्रकार वह चोलवंशीय नरेश के रूप में प्रख्यात हुआ। वह अत्यंत वीर था। उसने कलिंग पर विजय प्राप्त की। उसके इस विजय अभियान के संबंध में उसके प्रधान राजकवि गोदंत ने तमिल भाषा में ‘कलिंगट्ट परनिद्र’ नामक महाकाव्य की रचना की है।

कोलतुंग जैन धर्मानुयायी था। उसने राजेंद्र चोल द्वारा विनष्ट किए गए कतिपय जैन मंदिरों का उद्धार कराया और अनेक जैन विद्वानों को प्रथय प्रदान किया। उसके इस जैन धर्मानुराग से रामानुजाचार्य बहुत रुष्ट हुए और उसके राज्य का परित्याग कर होयशल राज्य में चले गए थे। कोलतुंग की 1123 ई. में मृत्यु हुई।

टीका टिप्पणी और संदर्भ