क्रेस्नोवोदस्क
क्रेस्नोवोदस्क
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 221 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
क्रेस्नोवोदस्क सोवियत गणतंत्र के तुर्कोमन प्रदेश का एक पोत पत्तन जो कास्पियन सागर के दक्षिणी ओर बलखान की खाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित है।[१]यह नगर सेंट्रल एशियन रेलवे का पश्चिमी छोर का अंतिम स्टेशन है। यह रेलवे सामरिक दृष्टि से 1880 ई. में मनाई गई थी जो माइकेल की खाड़ी से आरंभ होकर क्रेस्नोवोदस्क की खाड़ी के दक्षिण तक जाती थी। माइकेल की खाड़ी में जल छिछला होने के कारण 1896 ई. में क्रेस्नोवोदसक जहाँ 1817 ई. का बना एक दुर्ग है, रेल का अंतिम स्टेशन बना। मध्य एशिया के कपास उत्पादक क्षेत्र और यूरोपीय रूस के कपड़ा उत्पादक क्षेत्र के बीच व्यावसायिक कड़ी होने के कारण जब रेल की महत्ता बढ़ी तब उतारने चढ़ाने की कठिनाई कम करने तथा ऋ तु संबंधी बाधाओं को दूर करने की दृष्टि से क्रेस्नोवोदस्क से अस्त्राखान तक के रेलमार्ग के स्थान पर ताशकंद से ऑरेनबुर्ग के बीच एक नया रेलमार्ग बना। किंतु इससे इस नगर की महत्ता में विशेष कमी नहीं आई। यह आज भी तुर्कमानिस्तान और पश्चिमी उजबेकिस्तान की रूई और मेवे के निर्यात की मुख्य मंडी है। यहाँ नेप्था, लकड़ी, मक्का और चीनी का आयात होता है। यहाँ तेल साफ करने का कारखाना है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्थिति : 400 1’ उत्तरीय अक्षांश तथा 520 52’ पूर्वी देशांत