क्वामे एनक्रूमा

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लेख सूचना
क्वामे एनक्रूमा
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 240
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कैलासचंद्र शर्मा

एनक्रूमा, क्वामे (1909-72) घाना गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति तथा अफ्रीकी स्वतंत्रता आंदोलन के नेता। 21 सितंबर, 1909 को एंकरोफुल में इनका जन्म हुआ। रोमन कैथोलिक एलिमेंटरी स्कूल, एक्सिम; गवर्नमेंट टीचर्स ट्रेनिंग कालेज, अक्रा तथा एचिमोटा; लिंकन विश्वविद्यालय, पेंसिलवानिया (बी.ए.एस.टी.बी.); पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय (बी.डी.एम.ए., दर्शनशास्त्र, एम.एस.सी. शिक्षाशास्त्र) तथा लंदन विश्वविद्यालय इत्यादि में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की। 1931 से 1934 ई. तक स्कूल मास्टर और 1944 ई. के दौरान पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय में इतिहास तथा दर्शनशास्त्र के शिक्षक रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात्‌ 'लदंन स्कूल ऑव इकॉनॉमिक्स' में अध्ययन करते समय इन्होंने पान-अफ्रीकन-कांग्रेस के संगठन में सहायता की और उसकी लंदन तथा मैनचेस्टर शाखाओं के संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया। 1945-47 ई. में लंदन से प्रकाशित 'न्यू अफ्रीकन' पत्र के संपादक रहे। राष्ट्रीय आंदोलन चलाने के लिए गठित 'युनाइटेड गोल्डकोस्ट कॉनवेंशन' के प्रथम महामंत्री निर्वाचित होने के बाद ये अफ्रीका लौटे परंतु 1949 ई. में इन्होंने उक्त संगठन से संबंध विच्छेद करके 'कॉनवेंशन पीपुल्स पार्टी' का गठन किया और देश में देशी सरकार स्थापित करने का आंदोलन चलाया। फलस्वरूप 1950 ई. में गैरकानूनी हड़तालें करवाने के आरोप में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसी वर्ष जबकि अभी ये जेल में ही थे, नए संधिवान के मातहत कराए गए चुनाव में, इन्हें विधानसभा का सदस्य चुन लिया गया। परंतु जेल से इन्हें एक साल बाद तब मुक्ति मिली जब ये अक्रा की नगरपालिका के सदस्य निर्वाचित हुए। 1952-1957 ई. तक ये गोल्डकोस्ट के प्रधान मंत्री रहे। 1957 ई. में गोल्डकोस्ट तथा टोगालैंड को मिलाकर स्वायत्तशासी घाना राष्ट्र बनाया गया और एनक्रूमा ने उक्त नवोदित राष्ट्र के प्रधानमंत्री का पद संभाला। 1 जुलाई, 1960 को घाना में गणतंत्र की स्थापना हुई और

एनक्रूमा उसके प्रथम राष्ट्रपति बने। इसी वर्ष घाना को राष्ट्रमंडल का सदस्य चुन लिया गया।

राष्ट्रपति होने के बाद डा. क्वामे एनक्रूमा ने राष्ट्रसंघ के 1960 तथा 1961 में हुए अधिवेशनों में भाषण दिए और 1962 ई. में इन्हें 'लेनिन शांति पुरस्कार' प्रदान कर संमानित किया गया। हालाँकि पश्चिम अफ्रीका के लोग इन्हें 'अफ्रीका का गांधी' कहते थे और तद्वत इनका संमान भी करते थे तो भी शासन सँभालने के बाद, शुरू शुरू में, इनकी कटु आलोचना हुई तथा इनपर अधिनायक जैसा आचरण करने का आरोप लगाया गया।

एनक्रूमा ने ब्रिटिश उपनिवेश गोल्डकोस्ट को आजादी दिलाकर घाना राज्य की स्थापना की थी, किंतु उनके विद्रोही सेनानायक ने सत्ता के लोभ में उनकी देशभक्ति का समादर नहीं किया और 24 फरवरी, 1966 ई. को जब एनक्रूमा चीन की राजकीय यात्रा पर पीकिंग गए हुए थे, सेना एवं पुलिस ने विद्रोह कर सत्ता हथिया ली। अपदस्थ होने के बाद एनक्रूमा गिनी चले गए और वहाँ की सरकार ने उन्हें बड़े संमान के साथ रखा। 27 अप्रैल, 1972 ई. का 62 वर्षीय डा. एनक्रूमा का निर्वासित अवस्था में कोनाक्री (गिनी) में देहांत हो गया।

घाना (आत्मकथा-1957), आई स्क्रीप ऑव फ्रीडम (1966), टुवर्डस कॉलोनियल कॉन्शिएन्सिज्म़ (1964) तथा भाषण पुस्तिकाएँ (सूचना मंत्रालय, घाना सरकार द्वारा प्रकाशित) इत्यादि इनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ