क्विंतीतस सिंसिनेतस

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लेख सूचना
क्विंतीतस सिंसिनेतस
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 254
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

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क्विंतीतस सिंसिनेतस प्राचीन रोम का एक ग्रामीण जिसने अधिनायकत्व ग्रहणकर रोम की रक्षा की। उसका समय ई. पू. 572 अनुमान किया जाता है। उन दिनों एक्वियन लोगों ने रोम पर आक्रमण कर दिया था। सामना करनेवाली रोमन सेना को उन्होंने पराजित कर अपने घेरे में कर लिया था। इससे रोमवासी बड़े चिंतित हुए और उन्हें उस घिरी हुई सेना को बचाने के लिये किसी योग्य अधिनायक की आवश्यकता जान पड़ी। ऐसे संकट के समय क्विंतीतस सिंसिनेतस नामक किसान ही एक ऐसा व्यक्ति जान पड़ा, जो उनकी रक्षा कर सकता था।

निदान नागरिक उसके झोपड़े पर पहँुचे। उस समय वह अपने खेत पर काम कर रहा था। उसने जब रोम कर आए संकट की बात सुनी तो खेती का काम छोड़कर अधिनायक का पद ग्रहण करना स्वीकार किया और नगर में आया। उसने रोमवासियों को पाँच दिन की भोजन सामग्री के साथ शस्त्रास्त्र लेकर तैयार रहने का आदेश दिया। उस समय वे लोग असावधान थे। वे दो रोमन सेनाओं के बीच बुरी तरह घिर गए। उनकी पराजय हुई। इस प्रकार चौबीस घंटे के भीतर सेना संघटित कर क्विंतीतस ने शत्रु के हाथ से रोम की रक्षा की।

इस विजय के पश्चात्‌ क्विंतीतस अपने झोपड़े को लौट गया। रोम के इतिहास में उसका नाम कर्तव्यपरायणता और स्वार्थहीनता के लिए अमर है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ