क्वेटा
क्वेटा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 258 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
क्वेटा उत्तरपश्चिम पाकिस्तान में लगभग 5,500 फुट ऊँचाई पर स्थित नगर।[१] यह बिलोचिस्तान जिले का मुख्य नगर है । इस नाम के मूल में क्वात-कोट है और स्थानीय लोग इसे शलकोट कहते हैं। गर्मी में गर्म दिन और ठंढी रातें होती हैं। जाड़े का ताप प्राय: 180 सें. से नीचे रहता है। वार्षिक वर्षा का औसत 10 इंच है। प्रसिद्ध बोलन दर्रे पर स्थित होने से इसका सैनिक महत्व रहा है। 1876 ई. में जब सर राबर्ट संडेमन ने वहाँ रेजीडेंसी स्थापित की तब उसे महत्व प्राप्त हुआ। इससे पूर्व वह एक छोटा सा बाजार था और कुछ मिट्टी के घर तथा छिटपुट बगीचे थे। यहाँ 1907 में एक सैनिक स्कूल खोला गया और यह पश्चिमी अफगानिस्तान पूर्वी ईरान और अधिकांश मध्य एशिया से व्यापार का केंद्र बना और इसे रेलमार्ग से जोड़ा गया। 1935 में यह नगर एक भीषण भूकंप में प्राय: एकदम नष्ट हो गया था। इस भूकंप से मरे लोगों की संख्या 20 से 40 हजार के बीच आँकी गई थी। 1955 में यहाँ दुबारा भूकंप आया था।
आजकल यहाँ पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा तथा सैनिक शिक्षालय है और रेलों के द्वारा यह अफगानिस्तान तथा ईरान की सीमा से जुड़ा है। पाकिस्तान के अन्य नगरों को यहाँ से सड़कें जाती हैं। यहाँ मुख्यत: ताजे और सुखे मेवे, फल, जड़ी बूटी और खाल का व्यवसाय होता है। 1961 में यहाँ की जनसंख्या 5,85,000 थी।[२]