खंभावती

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
खंभावती
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 280
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेवरीलाल गुप्त

खंभावती च विज्ञेया मूर्च्छना पौरवीमता। अर्थात्‌ यह रागिनी धैवत, स्वर, अंश, यह एवं न्यास युक्त है। यह पंचम स्वर रहित और षाडव है। इसकी मूर्छना पौरवी मानी गयी है। इसके दो रूप प्रचलित हैं। एक में मांड और झिंझोटी का मिश्रण है और दूसरे में रागश्री का। दूसरे प्रकार में पंचम स्वर सर्वथा वर्जित है और ऋषभ भी अत्यल्प है। इसे कौशिक राग की रागिनी कहा गया है। यह रागिनी श्रृंगार और करूणारस प्रधान है और रात्रि के दूसरे पहर में गाई जाती है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ