खंसा
खंसा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 280 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेवरीलाल गुप्त |
खंसा अरबी कवयित्री। इनका पूरा नाम तुमादिर विंत अम्र था। कैस कबीले के सुलेम शाख के एक परिवार में जन्म हुआ था। पिता का नाम अम्र था। इन्होंने अपने दो भाइयों और पिता की मृत्यु के वियोग में वेदनापूर्ण रचनाएँ की थीं जिनसे इन्हें ख्याति प्राप्त हुई। इनका एक दीवान 1895 में बेरूत में प्रकाश्ति हुआ जिसका बाद में फ्रेंच में द कूपियर ने अनुवाद किया है। इस्लाम धर्म के उत्थान होने पर अपने कबीले के लोगों के साथ इस धर्म को ग्रहण कर लिया। कदीसिया की लड़ाई में इनके चार बेटे मारे गए। तब उमर ने उनके शहीद होने पर इन्हें बधाई भेजी और उनके लिये पेंशन बाँध दी। इन्हीं की तरह इनकी बेटी अम्रा भी कविताएँ लिखती थी। इनकी मृत्यु 645 ई. में हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ