खुदकाश्त
खुदकाश्त
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 326 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | जितेन्द्र कुमार मित्तल |
खुदकाश्त वह भूमि जिसपर उसका स्वामी स्वयं खेती करता हो। उत्तर प्रदेश टेनेंसी ऐक्ट, 1939 की धारा 3 की उपधारा 9 के अनुसार खुदकाश्त सीर को छोड़कर वह भूमि है जिसपर भू-स्वामी (लैंडलार्ड), उप-भूस्वामी (अंडरप्रोप्राइटर) अथवा वह व्यक्ति जिसको भूमि स्थायी रूप से पट्टे पर दे दी गई हो (परर्मानेंट टेन्योरहोल्डर) खेती करता हो। खेती वह स्वयं कर सकता है अथवा अपने नौकरों या किराए पर मजदूरों से करा सकता है। यदि भूस्वामी अपने ही काश्तकार (टेनेंट) की भूमि को उपकाश्तकार (सबटेनेंट) के रूप में जोतता बोता हो तो ऐसी भूमि खुदकाश्त नहीं हो सकती। खुदकाश्त की परिभाषा के अर्थों में भू-स्वामी किसी काश्तकार की भूमि पर बलपूर्वक अधिकार करके और जोत बोकर कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं कर सकता। जमींदारी उन्मूलन एवं भूमिसुधार अधिनियम के द्वारा खुदकाश्त से संबंधित अनेक परिवर्तन किए गए हैं पर परिभाषा में कोई अंतर नहीं किया गया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ