खैर

अद्‌भुत भारत की खोज
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लेख सूचना
खैर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 334
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक परमेश्वरीलाल गुप्त

खैर भारतीय पहाड़ी पक्षी जो प्राय: 4 हजार से 15 हजार फुट की ऊँचाई पर ही देखने में आता है। किंतु अपनी शर्मीली आदत के कारण यह सरलता से देखने में नहीं आता। अपनी तेज आवाज के आधार पर ही उसके कहीं होने का पता चलता है। वह हमेशा घनी झाड़ियों में घुसा रहता है। पेड़ पर कभी नहीं चढ़ता। यदा कदा कीड़े मकोड़ों की तलाश में घास के मैदानों में भी इसके झुंड दिखाई पड़ जाते हैं।

यह पक्षी आकार में छोटा, महज 6 इंच का होता है। इसके पीठ और डैने का रंग खैरा (कत्थई) होता है; सिर का ऊपरी भाग ललछौंह और आँख के ऊपर एक सफेद लकीर होती है। दुम के पैरों के सिरे सफेद और नीचे का हिस्सा हलका पीलापन लिए सफेद होता है।[१]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सं. ग्रं.-सुरेश सिंह : भारतीय पक्षी।