खोइँछा
खोइँछा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 336 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सर्वदानंद |
खोइँछा एक विशुद्ध पारिवारिक स्थानिक प्रयोग, जिसका शाब्दिक अर्थ मुड़ा या मोड़ा हुआ आँचल होता है। विवाह के बाद कन्या के जाते समय मातृस्थानीया महिला अथवा अन्य शुभ अवसरों पर भी पद में छोटी समझी जानेवाले स्त्रियों के आँचल में चावल, हल्दी की गाँठे और कुछ रु पए डालकर, मस्तक में सिंदूर लगाकर, बड़ी बूढ़ियाँ यह रस्म पूरी करती हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ