घाना

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घाना गिनी की खाड़ी पर स्थित पश्चिमी अफ्रीका का एक प्रजातंत्र राज्य है, जिसका जन्म ६ मार्च, सन्‌ १९५७ को हुआ था। इसके पूर्व यह गोल्डकोस्ट के नाम से ब्रिटिश साम्राज्य का एक अंग था।

इतिहास और संस्कृति

निवासी मुख्यत: नीग्रो जाति के हैं। मध्यघाना में अशांटी और समुद्रतटीय क्षेत्रों में आकनवंशी ट्वी और फांटी उपजातियों का वास है। दक्षिण पश्चिम में रहनेवाली उपजातियों के नाम एनज़ीमा, अथांटा और इवेल आदि हैं। उत्तरी भागों में रहनेवाले मोशी दगोंबा या गोंजा समूह के हैं जो आकनवंशी ही हैं।

भाषा

सामान्यत: घाना ५६ भाषाओं का देश है। किंतु १९६२ से अंग्रेजी और फ्रांसीसी के अतिरिक्त 'अकुआपेम ट्वी' (Akuapem-Twi) आसांटे-ट्वी (Asante-Twi), दगबानी (Dagbani) दांगबे (Dangbe), इवे (Eve), फांटी (Fanti), गा (Ga), कासेम (Kasem) और एंज़ीमा (Nzima) नामक नौ भाषाएँ सरकार द्वारा मान्य हैं।

धर्म

यहाँ के लोग प्राय: आध्यात्मिक और आस्तिक हैं। ईसाइयों की संख्या ६,५०,००० है जिनमें रोमन कैथोलिक, मेथोडिस्ट, और प्रेस्बाइटेरियन हैं।

इतिहास

घाना का प्राचीन इतिहास अनुमानों पर आधारित है। कहा जाता है यहाँ के वर्तमान निवासी हजार वर्ष पूर्व बसे पश्चिमी सूडान के घाना प्रदेश से आए थे। इससे इस अफ्रीकी प्रदेश का नाम भी स्वतंत्रता के बाद घाना पड़ गया। १४७१ में कुछ पुर्तगाली व्यापारी इसके समुद्रतटों पर आ बसे थे। इसके बाद सोने के व्यापार के उद्देश्य से क्रमश: डच, डेनी, स्वीडी, अंग्रेज आदि भी आए। धीरे धीरे इस व्यापार ने दास व्यापार का रूप लिया। १८०७ में अंग्रेजों ने इसे अवैध घोषित किया। १९वीं शताब्दी में अंग्रेजों के अतिरिक्त प्राय: सभी यूरोपीय जातियों ने घाना छोड़ दिया। दास व्यापार की समस्या को लेकर १८०६ से १९०० तक अशांटियों और अंग्रेजों के बीच कई युद्ध हुए। अंतत: अंग्रेजों ने दास प्रथा को समाप्त किया और प्रदेश की बहुत सी भूमि उनके संरक्षण में आ गई। १९२२ में जर्मन उपनिवेश टोगोंलैंड भी राष्ट्रसंघ के विशेषादेश से ब्रिटिश ट्रस्ट के अधिकार में आ गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, विशेषत

१९४६ से, घाना में तीव्र राजनीतिक चेतना का आविर्भाव हुआ। १९४९ में सांवैधानिक संशोधन के निमित्त अखिल अफ्रीका स्तर की समिति गठित हुई। १९५१ के निर्वाचन में देशी जनता ने सरकार बनाने में बहुमत प्राप्त किया। १९५४ में संविधान में कुछ सुधार हुए, जिनके अनुसार 'गोल्ड कोस्ट' स्वायत्तशासन की इकाई बन गया। १९५६ के आम चुनावों में पुन: अशांटी प्रदेश, उत्तरी भाग और टोगोलैंड के निवासियों को विशाल बहुमत प्राप्त हुआ। फलत: ६ मार्च, १९५७ को अंग्रेजों ने सारे देश को स्वतंत्र कर दिया। स्वतंत्रता के बाद इसका नाम घाना पड़ा। उसी वर्ष इसने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल की सदस्यता ग्रहण की। १ जुलाई, १९६० को घाना गणराज्य घोषित हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ