चंपतराय
चंपतराय
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 145 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | रामप्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
चंपतराय बुंदेला सरदार, वीरसिंह का मित्र और विद्रोह के समय जुझारसिंह का सहायक था। जुझारसिंह की मृत्यु के पश्चात् उसके एक पुत्र पृथ्वीराज की सहायता करता रहा। 1639 ई. में जब ओड़छा और झाँसी के बीच बुंदेला सेनाएँ हार गई और पृथ्वीराज ग्वालियर के किले में कैंद कर लिया त्रया चंपतराय राजकुमार दारा की सेवा में चला गया। बाद में अन्य बुंदेला सरदारों से ईर्षा के कारण वह औरंगजेब की सेना में सम्मिलित हुआ। सन् 1661 में चंपतराय ने औरंगजेब के विरुद्ध विद्रोह किया किंतु बड़ी कठोरता से उसका दमन कर दिया गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ