जान क्लेयर
जान क्लेयर
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 241 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
जान क्लेयर (1793-1864 ई.) अंग्रेंज कवि। पीटरबरा के निकट हेल्पस्टोन में एक कृषि-श्रमिक के घर जन्म। 12-13 वर्ष की अवस्था में वह दिन में खेत पर काम करता और रात को पढ़ने जाता। उसने नाना प्रकार के धंधे करने का यत्न किया। बर्थले पार्क में माली बना, सेना में भर्ती हुआ। 1817 में वह चूना भट्ठी पर काम करने लगा। वहाँ से वह काम के समय अपनी कविता पुस्तक का विज्ञापन बाँटने के कारण निकाल दिया गया। विज्ञापन का कोई परिणाम न निकला। किंतु उसी समय अकस्मात् ड्रूरी नामक पुस्तक विक्रेता ने उसकी द सेंटिंग सन शीर्षक कविता देखी और वह उसकी ओर आकृष्ट हुआ। उसने उसका परिचय कीट्स और शेली के प्रकाशक जान टेलर से करा दिया। टेलर ने क्लेयर की कविताओं का एक संग्रह पोयम्स डिस्क्रिप्टिव अॅाव रूरल लाइफ़ ऐंड सीनरी 1820 में और दूसरी विलेज मिंस्ट्रेल ऐंड अदर पोयम्य 1821 में प्रकाशित किया। इन पुस्तकों से उसे थोड़ी सी आय होने लगी और उससे किसी प्रकार परिवार का खर्च चलने लगा। 1827 में द शेपर्ड्स कैलेंडर प्रकाशित हुआ पर वह उतना सफल न रहा। निदान क्लेयर को पुन: कृषि श्रमिक का काम करना पड़ा। चिंता और श्रम की अधिकता से वह बीमार हो गया। तब अर्ल फ्रट्ज विलियम ने उसे एक छोटा सा मकान और कुछ जमीन प्रदान की पर वह जम न सका। धीरे धीरे उसका मस्तिष्क विकृत होने लगा। 1837 में वह पागलखाने में भेज दिया गया जहाँ वह मृत्यु पर्यंत रहा। इस अवस्था में भी वह कविताएँ लिखता रहा। उसकी अंतिम-प्रकाशित रचना रूरल म्यूज है जो 1837 में प्रकाशित हुई थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ