जार्ज गार्डन ऐबर्डीन
जार्ज गार्डन ऐबर्डीन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 278 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | ओंकारनाथ उपाध्याय |
ऐबर्डीन, जार्ज गार्डन (1784-1860) ब्रिटिश राजनीतिज्ञ, एडिनबरा में जन्म, 11 साल की उम्र में ही अनाथ हो गया, 1801 में दादा के मरने के बाद लार्ड हुआ और एथरी हैमिल्टन से शादी कर ली।
ऐबर्डीन 1812 में राजदूत बनाकर आस्ट्रिया भेजा गया और उसी ने तोपलित्क्स के संधिपत्र पर अगले साल दस्तखत किए। पेरिस की संधि भी अधिकतर उसी के प्रभाव से संपन्न हुई। सन् 1828 में वह वेलिंग्टन के ड्यूक के मंत्रिमंडल में परराष्ट्र सचिव हुआ और उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युग शुरू हुआ। उसने पहले फ्रांस से मैत्री की, फिर संयुक्त राज्य अमरीका से सद्भाव उत्पन्न किया। उसी के कार्यकाल में अमरीका के साथ आरेगन की संधि हुई जिससे कनाडा में ब्रिटेन को राजनीतिक लाभ और सुविधा मिली। 1846 ई में ऐबर्डीन ने विदेशी अन्न संबंधी कर के प्रश्न पर इस्तीफा दे दिया।
उदार और अनुदार दल के संयुक्त मंत्रिमंडल में वह सन् 1852 में ट्रेज़री का पहला लार्ड हुआ। उस मंत्रिमंडल में लार्ड पामर्स्टन और लार्ड जान रसेल के अतिरिक्त कई दूसरे प्रभावशाली राजनीतिज्ञ भी थे जिससे कालांतर में उसका टूट जाना अनिवार्य था। फिर भी ऐबर्डीन ने मंत्रिमंडल के कार्यो में पर्याप्त सहयोग दिया और उसी के सहयोग का परिणाम था कि 1853 में ग्लैड्स्टन का प्रसिद्ध आयव्ययक मंत्रिमंडल ने मंजूर किया। क्रीमिया के युद्ध में उसके स्वभाव की कमजोरी स्पष्ट हो गई क्योंकि वह वस्तुत: शांति का मंत्री और देश के दूसरों के मामले में हस्तक्षेप न करने की नीति का समर्थक था। क्रीमिया के युद्ध के अवसर पर पूर्वी प्रश्न के संबंध में रूस और तुर्की के समक्ष ऐबर्डीन की नीति विफल हो गई और लार्ड जान रसेल के साथ-साथ उसने भी पदत्याग कर दिया। ऐबर्डीन कला का अच्छा समीक्षक था और उसने ग्रीक वास्तु के सौंदर्य पर एक पुस्तक भी लिखी। मैथ्यू नोबुल की बनाई उसकी मूर्ति वेस्टमिंस्टर अबे में रखी है। ऐबर्डीन का एक प्रतिकृति चित्र सर टी. लारेंस ने भी बनाया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ