थोम फ्रांसिस्कोथ आल्मेइदा
थोम फ्रांसिस्कोथ आल्मेइदा
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 450 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री राजेंद्र नागर |
आल्मेइदा, थोम फ्रांसिस्कोथ (1450-1510 ई.) भारत में पुर्तगाली वाइसराय। उसके नेतृत्व में किल्वा, मोज़ांबिक, आंजेदिवा, कनानोर तथा कोचीन में पुर्तगाली दुर्गो का निर्माण हुआ। मलक्का और लंका से प्रथम संपर्क स्थापित हुए। मिस्र तथा गुजरात के संयुक्त आक्रमण के फलस्वरूप पुर्तगालियों की पराजय हुई और आल्मेइदा के पुत्र तथा प्रमुख सहाकारी लोरेंको को वीरगाति प्राप्त हुई। तभी वाइसराय का स्थान ग्रहण करने आल्बुकर्क का भारत आगमन हुआ। किंतु पुत्र के प्रतिशोध के लिए आल्मेइदा ने राजाज्ञा का उल्लंघन किया, शत्रु को भीषण दंड दिया तथा दिव के निकट पूर्ण विजय प्राप्त की। अंतत: पदत्याग करने के बाध्य होने पर वह स्वदेश लौटा। मार्ग में साल्दान्हा की खाड़ी में उसकी हत्या हो गई। समुद्र पर पुर्तगाली शक्ति का एकाधिकार स्थापित करने तथा पुर्तगाली व्यवसाय को संगठित करने में उसे यथेष्ट सफलता मिली।
टीका टिप्पणी और संदर्भ