नरसिंह चिंतामणि केलकर

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लेख सूचना
नरसिंह चिंतामणि केलकर
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3
पृष्ठ संख्या 120
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1976 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भीमराव गोपाल दोपांड

नरसिंह चिंतामणि केलकर (1872-1947) इनका जन्म मिरज (महाराष्ट्र) में हुआ था। हाईस्कूल और कालेज में उन्होने अंग्रेजी एवं संस्कृत साहित्य का विशेष अध्ययन किया और उनकी साहित्यिक प्रतिभा पल्लवित हुई। बी. ए., एल-एल. बी. होने के पश्चात्‌ वे लोकमान्य तिलक के अंग्रेजी समाचार पत्र मराठा के संपादक हुए। इस प्रकार सन्‌ 1947 तक वे मराठा, केसरी तथा सह्याद्रि (मासिकपत्र) जैसे लोकप्रिय एवं प्रौढ़ समाचारपत्रों के संपादक रहे।

वे न केवल व्यवसायी संपादक वरन्‌ सव्यसाची साहित्यिक भी थे। संपादन करते हुए उन्होंने मालाकार चिपलूणकर की प्रौढ़ निबंधशैली का उत्कर्ष किया। इन्होंने निबंध, जीवनी, नाटक, इतिहास, साहित्यशास्त्र, उपन्यास, विनोद, यात्रावर्णन आदि अनेक साहित्यरूपों में अपनी प्रौढ़ कृतियों द्वारा अच्छा योग दिया। इनकी निबंधरचना इतनी विविध, विपुल और कलापूर्ण है कि मराठी में कदाचित्‌ ही किसी एक व्यक्ति ने इनकी टक्कर का निबंधप्रणयन किया हो। इनकी निबंधरचना लगभग पाँच हजार पृष्ठों की है। इनके 1. गैरीबाल्डी चरित्र 2. आयरिश देशभक्तों के चरित्र, 3. लोकमान्य तिलक का त्रिखंडात्मक बृहत्‌ चरित्र (लगभग तीन हजार पृष्ठों का) और 4. आत्मकहानी (लगभग आठ सौ पृष्ठों की) की रचनाकर चरित्रसाहित्य को खूब संपन्न किया। इनका ऐतिहासिक संशोधनयुक्त मराठे व इंग्रज ग्रंथ पठनीय और संग्रहणीय है। वैसे ही सुभाषित और विनोद नामक प्रौढ़ ग्रंथ का प्रणयान कर इन्होंने हास्य रस का शास्त्रीय शैली से प्रतिपादन किया है।

केलकर सफल समीक्षक भी थे। इन्होंने लगभग सौ भिन्न प्रकार के ग्रंथों के मार्मिक परिचय लिखे और बीसों ग्रंथों की उद्बोधक समालोचनाएँ कीं। वे मराठी के दूसरे साहित्यसम्राट कहे जाते हैं। अपने सामर्थ्य के अनुसार इन्होंने देश सेवा में भी योग दिया। 1947 ई. में इनका निधन हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ