नवीन
नवीन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 6 |
पृष्ठ संख्या | 265 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | राम प्रसाद त्रिपाठी |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1966 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रामफेर त्रिपाठी |
नवीन नामधारी दो कवि हैं।
1. नवीन भट्ट
'नवीन भट्ट', जो बिलग्राम (जिला हरदोई) के निवासी थे। 'मिश्रबंधु विनोद' में नवीन विलग्रामी का जन्मकाल संवत् 1818 विक्रम दिया है और उन्हें 'महिम्न भाषा' तथा 'शिवतांडव' संज्ञक ग्रंथों का कर्ता भी कहा गया है। 'मिश्रबंधुविनोद', भाग 3 में उसकी चार कृतियों का उल्लेख हुआ है - (1) 'सुधासार', (2) 'सरसरस', (3) 'नेहनिदान' और (4) 'रंगतरंग'। 'सुधासार' को हिंदी-पुस्तक-साहित्य में जगन्नाथदास 'रत्नाकर' द्वारा संपादित और बनारस से प्रकाशित बताया गया है। 'सरस रस' किस प्रकार की कृति है, इस विषय में किस सूचना का अभाव होते हुए भी यह अनुमान से कहा जा सकता है कि इसका संबंध प्रेमवर्णन अथवा श्रृंगार से ही होगा। सन् 1905 की खोजरिपोर्ट (संख्या 39) से पता लगता है कि 'नेहनिदान' का प्रधान वर्ण्य विषय प्रेम है। इसकी एक स्तलिखित प्रति छतरपुर के जगन्नाथप्रसाद के यहाँ मिली है, जिसमें लिपिकाल संवत् 1907 विक्रम दिया हुआ है। इसमें कुल छंद 145 हैं। इसी के अंतस्साक्ष्य से यह भी ज्ञात होता है कि इस कवि के आश्रयदाता मालवा के राजा जसवंतसिंह का शासनकाल 17वीं शताब्दी का उत्तरार्ध या शाहजहाँ का समय माना जाता है, इसलिए मोटे तौर पर कवि का भी वही समय मानना चाहिए। रस-वर्णन-प्रधान 'रंगतरंग' का निर्माणकाल, मिश्रबंधुओं के अनुसार संवत् 1899 विक्रम है और यही कवि की अंतिम कृति भी हैं।
2. नवीन ब्रजवासी
महत्व और प्रसिद्धि दोनों दृष्टियों से दूसरे 'नवीन ब्रजवासी' का उत्कृष्ट स्थान है। इनके अतिरिक्त त्रयोदश त्रैवार्षिक खोज रिपोर्ट (संख्या 330 ए, 330 बी) से इस कवि की 'श्रृंगारशतक' और 'श्रृंगारसप्तक' रचनाओं का और पता चला हैं। दोनों के प्रधान वर्ण्य विषय श्रृंगार और नायिकाभेद हैं। 'शतक' वाली प्रति का लिपि काल संवत् 1835 विकम और 'सप्तक' का संवत् 1858 विक्रम है। प्रथम में कुल 320 और द्वितीय में 440 छंद हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ