महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 168 श्लोक 36-42

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अष्‍टषष्‍टयधिकशततम (168) अध्‍याय: उद्योग पर्व (रथातिरथसंख्‍यान पर्व)

महाभारत: उद्योग पर्व: अष्‍टषष्‍टयधिकशततम अध्याय: श्लोक 36-42 का हिन्दी अनुवाद

यहाँ जो लोग एकत्र हुए हैं, ऐसे तथा इनसे भी बढ-चढकर पराक्रमी हजारों नरेश वहाँ एकत्र थे; परंतु मैंने समारांगण में अकेले ही उन सबको सेनाओं सहित परास्‍त कर दिया था। तू वैर का मूर्तिमान स्‍वरूप है। तेरा सहारा पाकर कुरूकुल के विनाश के लिये बहुत बडा अन्‍याय उपस्थित हो गया है। अब तू रक्षा का प्रबन्‍ध कर और पुरूषत्‍व का परिचय दे। दुर्मते ! तू जिसके साथ सदा स्‍पर्धा रखता है, उस अर्जुन के साथ समरभूमि में युद्ध कर । मैं देखूंगा कि तू इस संग्राम से किस प्रकार, बच पाता है ? तदनन्‍तर प्रतापी राजा दुर्योधन ने भीष्‍मजी से कहा –गंगानन्‍दन ! आप मेरी ओर देखिये; क्‍योंकि इस समय महान कार्य उपस्थित है। आप एकाग्रचित होकर मेरे परम कल्‍याण की बात सोचिये । आप और कर्ण दोनों ही मेरा महान कार्य सिद्ध करेंगे। अब मैं पुन: शत्रुपक्ष के श्रेष्‍ठ रथियों, अतिरथियों तथा रथयूथपतियों का परिचय सुनना चाहता हूं। कुरूनन्‍दन ! शत्रुओं के बलाबल को सुनने की मेरी इच्‍छा है। आज की रात बीतते ही कल प्रात:काल यह युद्ध प्रारम्‍भ हो जायेगा।

इस प्रकार श्रीमहाभारत उद्योगपर्वके अन्‍तर्गत भीष्‍म कर्ण संवादविषयक एक सौ अडसठवां अध्‍याय पूरा हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।

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