महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 39 श्लोक 20-31

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एकोनचत्‍वारिंश (39) अध्याय: द्रोण पर्व ( द्रोणाभिषेक पर्व)

महाभारत: द्रोण पर्व: एकोनचत्‍वारिंश अध्याय: श्लोक 20-31 का हिन्दी अनुवाद

राजा दुर्योधन के ऐसा कहने पर वे सब वीर अत्‍यन्‍त कृपित हो सुभद्राकुमार अभिमन्‍यु को मार डालने की इच्‍छा से द्रोणाचार्य के देखते–देखते उस पर टूट पडे । कुरूश्रेष्‍ठ ! उस समय दुर्योधन के उपयुक्‍त वचन को सुनकर दु:शासन ने उससे यह बात कही । महाराज ! मैं आपसे (प्रतिज्ञापूर्वक) कहता हूं । मैं पांचालों और पाण्‍डवों के देखते-देखते इस अभिमन्‍यु को मार डालूंगा । जैसे राहु सूर्य पर ग्रहण लगाता है, उसी प्रकार आज मैं सुभद्राकुमार अभिमन्‍यु को ग्रास लूँगा । इतना कहकर उसने जोर-जोर से गर्जना करने पुन: कुरूराज दुर्योधन से इस प्रकार कहा । सुभद्राकुमार अभिमन्‍यु को मेरे द्वारा कालकवलित हुआ सुनकर अत्‍यन्‍त अभिमानी श्रीकृष्‍ण और अर्जुन इस जीवलोक से प्रेतलोक को चले जायॅगे- इसमें संशय नही हैं । उन दोनो को मरा हुआ सुनकर पाण्‍डु के क्षेत्र में उत्‍पन्‍न हुए ये चारो पाण्‍डव कायरतावश अपने सुह्रद्वर्ग के साथ एक ही दिन प्राण त्‍याग देंगे । अत: इस अपने शत्रु अभिमन्‍यु के मारे जानेपर आपके सारे दुश्‍मन स्‍वत: नष्‍ट हो जाएंगे । राजन् ! आप मेरा कल्‍याण मनाइये । मैं अभी आपके शत्रुओं का नाश किये देता हूं । महाराज ! ऐसा कहकर आपका पुत्र दु:शासन जोर-जोर से गर्जना करने लगा । वह क्रोध में भरकर सुभद्राकुमार पर बाणों की वर्षा करता हुआ उसके सामने गया । आपके पुत्रको अत्‍यन्‍त कुपित हो आते देख शत्रुसूदन अभिमन्‍यु ने छब्‍बीस पैने बाणों द्वारा उसे घायल कर दिया । मद की धारा बहानेवाले गजराज के समान क्रोध मे भरा हुआ दु:शासन उस रणक्षेत्र में अभिमन्‍यु से और अभिमन्‍यु दु:शासन से युद्ध करने लगे । रथ-युद्ध की शिक्षा में निपुण वे दोनो योद्धा अपने रथों द्वारा दायें-बायें विचित्र मण्‍डलाकार गति से विचरते हुए युद्ध करने लगे । उस समय बाजे बजानेवाले लोग ढोल, मृदंग, दुन्‍दुभि, क्रकच, बड़ी ढोल, भेरी और झॉझ के अत्‍यन्‍त भयंकर शब्‍द करने लगे । उसमें शंख और सिंहनाद की भी ध्‍वनि मिली हुई थी ।

इस प्रकार श्रीमहाभारतद्रोणपर्व के अन्‍तर्गत अभिमन्‍युवध पर्व में दु:शासन युद्धविषयक उनतालीसवॉ अध्‍याय पूरा हुआ ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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