महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 84 श्लोक 43-55

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चतुरशीतितम (84) अध्‍याय: भीष्म पर्व (भीष्‍मवध पर्व)

महाभारत: भीष्म पर्व: चतुरशीतितम अध्याय: श्लोक 43-55 का हिन्दी अनुवाद

तदनन्तर हाथी, घोड़ों और रथपर यात्रा करने वाले करोड़ों राजाओं से घिरे हुए भीष्मन, जो युद्ध में देवताओं के लिये भी दुर्जय थे, आपके पुत्रों को बचाने के लिये एकमात्र बालक महारथी अभिमन्यु को लक्ष्ये करके तीव्र वेग से आगे बढे़। उनको उस ओर जाते देख श्वेततवाहन कुन्तीपुत्र अर्जुन ने वसुदेवनन्दन भगवान् श्रीकृष्णे से इस प्रकार कहा-। ‘हृषीकेश! जहां ये बहुत-से रथ जा रहे हैं, उधर ही अपने घोड़ों को हांकिये। माधव! ये अस्त्र-विद्या के विद्वान् तथा रण-दुर्मद बहुसंख्यंक शूरवीर जिस प्रकार हमारी सेना का विनाश न कर सकें, उसी तरह इस रथ को वहां ले चलिये’। अमित तेजस्वी कुन्तीकुमार अर्जुन के इस प्रकार कहने-पर वृष्णिकुलनन्दन भगवान् श्रीकृष्णष ने युद्ध में श्वे त घोड़ों से जुते हुए रथ को आगे बढा़या। आर्य! रणभूमि में क्रूद्ध हुए अर्जुन आपके सैनिकोंकी ओर जाने लगे, उस समय आपकी सेना में बडे़ जोर से हा‍हाकार होने लगा। राजन्! कुन्तीकुमार अर्जुन ने भीष्मे की रक्षा करने वाले उन राजाओं के पास जाकर सुशर्मा से इस प्रकार कहा-। ‘वीर! मैं जानता हूं, तुम पाण्डकवों के पूर्ववैरी और योद्धाओं में अत्यन्त उत्तम हो। तुम लोगों ने जो अन्याय किया है, उसका यह अत्यन्त भयंकर फल आज प्राप्त हुआ है, इसे देखो। आज मैं तुम्हें तुम्हारे पहले के मरे हुए पितामहों का दर्शन कराऊंगा’। ऐसा कहते हुए शत्रुघाती अर्जुन के पुरूष वचन को सुनकर भी रथयूथपकति सुशर्मा उनसे भला या बुरा कुछ भी न बोला। अनेक राजाओं से घिरे हुए उस महारथी ने आपके पुत्रों को साथ ले युद्ध में वीर अर्जुन के सामने जाकर उन्हें आगे, पीछे ओर पार्श्वन भाग- सब ओर से घेर लिया और जैसे बादल सूर्य को ढक लेते हैं, उसी प्रकार बाणों से अर्जुन को आच्छादित कर दिया| भारत! तत्पश्चायत् रणक्षेत्र में आपके पुत्रों और पाण्डढवों में खून को पानी की तरह बहाने वाला महान् संग्राम छिड़ गया। इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्म।पर्व के अन्तर्गत भीष्म्पर्व में सातवें दिन के युद्ध में सुशर्मा और अर्जुन की भिड़ंत से सम्बन्ध रखने वाला चौरासीवां अध्यातय पूरा हुआ।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्म।पर्व के अन्तर्गत भीष्म्पर्व में सातवें दिन के युद्ध में सुशर्मा और अर्जुन की भिड़ंत से सम्बन्ध रखने वाला चौरासीवां अध्यातय पूरा हुआ।


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