महाभारत शल्य पर्व अध्याय 33 श्लोक 1-16
त्रयस्त्रिश (33) अध्याय: शल्य पर्व (गदा पर्व)
श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को फटकारना, भीमसेन की प्रशंसा तथा भीम और दुर्योधन में वाग्युद्ध
संजय कहते हैं-राजन् ! जब यों कहकर दुर्योधन बारंबार गर्जना करने लगा, उस समय भगवान श्रीकृष्ण अत्यन्त कुपित होकर युधिष्ठिर से बोले- ‘युधिष्ठिर ! यदि यह दुर्योधन युद्ध में तुम को, अर्जुन को अथवा नकुल या सहदेव को ही युद्ध के लिये वरण कर ले, तब क्या होगा ? ‘राजन् ! आपने क्यों ऐसी दुःसाहस पूर्ण बात कह डाली कि ‘तुम हम में से एक को ही मार कर कौरवों का राजा हो जाओ’। ‘मैं नहीं मानता कि आप लोग युद्ध में गदाधारी दुर्योधन का सामना करने में समर्थ हैं। राजन् ! इसने भीमसेन का वध करने की इच्छा से उनकी लोहे की मूर्ति के साथ तेरह वर्षो तक गदा युद्ध का अभ्यास किया है । ‘भरतभूषण ! अब हम लोग अपना कार्य कैसे सिद्ध कर सकते हैं ? नृपश्रेष्ठ ! आपने दयावश यह दुःसाहस पूर्ण कार्य कर डाला है । ‘मैं कुन्ति पुत्र भीमसेन के सिवा, दूसरे किसी को ऐसा नहीं देखता, जो गदा युद्ध में दुर्योधन का सामना कर सके, परंतु भीमसेन ने भी अधिक परिश्रम नहीं किया है। ‘इस समय आपने पहले के समान ही पुनः यह जूए का खेल आरम्भ कर दिया है। प्रजानाथ ! आपका यह जूआ शकुनि के जूए से कहीं अधिक भयंकर है । ‘राजन् ! माना कि भीमसेन बलवान् और समर्थ हैं, परंतु राजा दुर्योधन ने अभ्यास अधिक किया है। एक ओर बलवान् हो और दूसरी ओर युद्ध का अभ्यासी, तो उन में युद्ध का अभ्यास करने वाला ही बड़ा माना जाता है। ‘अतः महाराज ! आपने अपने शत्रु को समान मार्ग पर ला दिया है। अपने आप को तो भारी संकट में फंसाया ही है, हम लोगों को भी भारी कठिनाई में डाल दिया है । ‘भला कौन ऐसा होगा, जो सब शत्रुओं को जीत लेने के बाद जब एक ही बाकी रह जाय और वह भी संकट में पड़ा हो तो उस के साथ अपने हाथ में आये हुए राज्य को दांव पर लगाकर हार जाय और इस प्रकार एक के साथ युद्ध करने की शर्त रखकर लड़ना पसंद करे ? ‘मैं संसार में किसी भी शूरवीर को, वह देवता ही क्यों न हो, ऐसा नहीं देखता, जो आज रणभूमि में गदाधारी दुर्योधन को परास्त करने में समर्थ हो । ‘आप, भीमसेन, नकुल, सहदेव अथवा अर्जुन-कोई भी न्याय पूर्वक युद्ध करके दुर्योधन पर विजय नहीं पा सकते; क्योंकि राजा सुयोधन ने गदा युद्ध का अधिक अभ्यास किया है । ‘भारत ! जब ऐसी अवस्था है, तब आपने अपने शत्रु से कैसे यह कह दिया कि ‘तुम गदा द्वारा युद्ध करो और हम में से किसी एक को मार कर राजा हो जाओ’ । ‘भीमसेन पर युद्ध का भार रक्खा जाय तो भी हमें विजय मिलने में संदेह है; क्योंकि न्याय पूर्वक युद्ध करने वाले योद्धाओं में महाबली सुयोधन का अभ्यास सबसे अधिक है । ‘फिर भी आपने बारंबार कहा है कि ‘तुम हम लोगों में से एक को भी मार कर राजा हो जाओ।’ निश्चय ही राजा पाण्डु और कुन्तीदेवी की संतान राज्य भोगने की अधिकारिणी नहीं है। विधाता ने इसे अनन्त काल तक वनवास करने अथवा भीख मांगने के लिये ही पैदा किया है’ ।
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