महाभारत सभा पर्व अध्याय 23 श्लोक 30-35
त्रयोविंश (23) अध्याय: सभा पर्व (जरासंधवध पर्व)
उन महात्माओं का वह युद्ध इसी रूप में त्रयोदशी तक होता रहा। चतुर्दशी की रात में मबधनरेश जरासंध क्लेश से थककर युद्ध से निवृत्त सा होने लगा । राजन्! उसे इस प्रकार थका देख भगवान श्रीकृष्ण भयानक कर्म करने वाले भीमसने को समझाते हुए से बोले- ‘कुन्तीनन्दन! शत्रु थक गा हो तो युद्ध में उसे अधिक पीड़ा देना उचित नहीं है। यदि उसे पूर्णत: पीड़ा दी जाये तो वह अपने प्राण त्याग देगा । ‘अत: पार्थ! तम्हें राजा जरासंध को अधिक पीड़ा नहीं देनी चाहिये। भरतश्रेष्ठ! तुम अपनी भुजाओं द्वारा इनके साथ समभाव से ही युद्ध करो’ । भगवान् श्रीकृष्ण के ऐसा कहने पर शत्रुवीरों का नाश करने वाले पाण्डुकुमार भीमसेने ने जरासंध को थका हुआ जानकर उसके वध का विचार किया । तदनन्तर कुरुकुल को आनन्दित करने वाले बलवानों में श्रेष्ठ वृको दरने उस अपराजित शत्रु जरासंध को जीतने के लिये भारी क्रोध धारण किया ।
इस प्रकार श्रीमहाभारत सभापर्व के अन्तर्गत जरासंधवधपर्व में जरासंध की थकावट से सम्बन्ध रखने वाला तेईसवाँ अध्याय पूरा हुआ ।
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