मेथोडिज़्म
मेथोडिज़्म
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 9 |
पृष्ठ संख्या | 385 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | कामिल बुल्के |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1967 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मेथोडिज्म एक ऐंग्लिकन पादरी जान वेस्ली (सन् 1703-1731 ई.) के नेतृत्व में मेथोडिज्म का प्रवर्त्तन हुआ था। उन्होंने सन् 1729 ई. में अपने भाई चार्ल्स तथा कुछ अन्य साथियों के साथ ऑक्सफर्ड के विद्यार्थियों के लिये 'होली क्लब' नामक संस्था बनाई। इस क्लब के सदस्य एकत्र होकर बाइबिल पढ़ते, उपवास करते, जनता को उपदेश देते और बीमारों तथा कैदियों से भेंट करने जाते थे। लोगो ने उपहास में 'होली क्लब' के सदस्यों का नाम मेथाडिस्ट रखा था। किंतु वेस्ली ने स्वंय उसी नाम को अपनाया। प्रांरभ मे वे एंग्लिकन गिरजाघरों में प्रवचन किया करते थें। किंतु उनका सुधार आंदोलन बढ़ता गया और मेथोडिस्ट सोसायटी के रुप में एंग्लिकन चर्च से अलग हो गया। 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मेथाडिस्ट को अमरीका में बड़ी सफलता मिली। आज कल वहाँ का चर्च महत्वपूर्ण बन गया है। (सदस्यता एक करोड़ सत्ताइस लाख)। मेथाडिस्ट विश्व भर में फैला हुआ है। ब्रिटेन (सात लाख से अधिक वयस्क सदस्य) के अतिरिक्त वह प्रधानतया कनाडा, साउथ अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया में फैला हुआ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ