राबर्ट एम्मेट
राबर्ट एम्मेट
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 245 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | ओंकारनाथ उपाध्याय |
एम्मेट, राबर्ट (1778-1803) आयरलैंड का विद्रोही। डब्लिन विश्वविद्यालय का बहुत मेधावी छात्र जिसे राजनीतिक विचारों के कारण विश्वविद्यालय से अलग होना पड़ा। फिर वह देश की स्वतंत्रता के लिए कार्य करनेवाली गुप्त संस्थाओं का सदस्य हो गया। जब उसके नाम वारंट निकला तब वह फ्रांस चला गया जहाँ वह नैपोलियन बोनापार्ट से मिला। यूनाइटेड आयरिश मेन नामक गुप्त संस्था छिपे रूप से आयरलैंड की स्वतंत्रता के लिए षड्यंत्र कर रही थी। एम्मेट उसके प्रधान संचालकों में हो गया। आयरलैंड के जिलों में जब विद्रोह की तैयारी हो चुकी तब वह चुपके से डब्लिन पहुँचा। विचार यह था कि जब फ्रांस इंग्लैंड पर चढ़ाई करे तभी आयरलैंड भी विद्रोह का झंडा खड़ा करे। परतु हमला हुआ नहीं, उधर आयरलैंड में विद्रोह की जो गुप्त तैयारियाँ हो रही थीं वे दृढ़ता से सफल न की जा सकीं। अंग्रेजी सेना को घेरकर निरस्त्र कर देने का स्वप्न देखनेवाले आयरिश विद्रोहियों के पास न तो काफी शस्त्र थे और न उनमें एकता कायम रह सकी। विद्रोह का भंडा फोड़ हो गया और उसका अंत सड़कों पर कुछ खूनखराबी के साथ हुआ। निश्चय ही कुछ अंग्रेज पदाधिकारी उसमें मारे गए, परंतु आयरलैंड की राजनीतिक प्रगति वहीं की वहीं रह गई। एम्मेट ने जब देखा कि अब सब कुछ नष्ट हो गया तब वह अमेरिका भाग जाने की तैयारी में लगा; पर भागने से पहले ही वह पकड़ लिया गया। न्याय के समय उसने बड़ी उत्तम वक्तृता दी, पर उसकी फाँसी हो गई। टामस मोर ट्रिनिटी कालेज में उसका मित्र था और उसने उसकी बड़ी प्रशंसा लिखी है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ