वाशिंगटन अर्विंग
वाशिंगटन अर्विंग
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 246 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री स्कंदगुप्त |
अर्विंग, वाशिंगटन (1783-1859), निबंधकार और कथाकार। इनका जन्म न्यूयार्क में हुआ। बचपन से ही इन्होंने अपने पिता विलियम अर्विग (जो स्काटलैंड से अमरीका आए थे) के निजी पुस्तकालय में विद्योपार्जन किया। 1700 में इन्होंने वकालत का काम आरंभ किया, परंतु क्षय रोग से ग्रस्त होने के कारण 1804 में स्वास्थ्यलाभ के लिए यूरोप चले गए। 1806 में स्वदेश लौटने पर अपने भाइयों के व्यवसाय में हाथ बटाया और साहित्य पर अपनी दृष्टि केंद्रित की। 1807 में इन्होंने 'सालमागुडी' नाम की एक मनोरंजन मिसलेनी और 1809 में न्यूयार्क का इतिहास प्रकाशित किया। 1815 में पुन: यूरोप भ्रमण के बाद 1819 में इन्होंने 'दि स्केच बुक' प्रकाशित की, जिसे विदेशों में बहुत सफलता और ख्याति मिली। 1822 में यह पेरिस गए और दो किताबें 'ब्रेसब्रिज हाल' और 'टेल्स ऑव ए ट्रैवेलर' लिखीं। 1826 में ये स्पेन चले गए जिसके फलस्वरूप इन्होंने अनेक सुंदर इतिहास लिखे: 'कोलंबस की जीवनी और उनकी यात्राओं का इतिहास' 1828; 'ग्रेनाडा की विजय' 1829; 'कोलंबस के साथियों की यात्राएँ', 1831;'अलहंब्रा' 1832; 'स्पेन पर विजय की कथाएँ', 1835 और 'मुहम्मद और उनके उत्तराधिकारी', 1849। सन् 1832 में वे अमरीका लौट चुके थे। 1842 में वे स्पेन में अमरीका के राजदूत नियुक्त हुए, और 1846 में स्वदेश लौट आए। इसी वर्ष इन्होंने 'गोल्डस्मिथ की जीवनी' प्रकाशित की और 1855-59 के बीच में 'वाशिंगटन की जीवनी' नामक अपनी महान कृति प्रकाशित की। 1955 में ही इनकी कथाओं और निबंधों का एक संकलन 'वुल्फर्ट्स रूस्ट' के नाम से प्रकाशित हो चुका था। 1859 की 28 नवंबर को एकाएक इनकी मृत्यु हो गई। इनकी लेखनी आकर्षक थी और अमरीका के साहित्य में इनका ऊँचा स्थान है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ