स्टैनिस्लाव कैनिज़ारो
स्टैनिस्लाव कैनिज़ारो
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 138 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
स्टैनिस्लाव कैनिज़ारो (1826-1910)। प्रख्यात रसायन शास्त्री इटली के पालेरेमों नामक स्थान में 13 जुलाई, 1826 ई. को जन्म। 1845-46 तक उन्होंने पीजा (Pisa) और ट्यूरिन में सैलिसिन और ग्लूकोसाइड पर अनुसंधान कार्य किया। 1848 ई. में सिसिली की क्रांति में भाग लेने के कारण मृत्युदंड मिला; पर वहाँ से भागकर पेरिस चले आए और वहाँ अनुसंधान कार्य शुरू किया। वहाँ इन्होंने साइनोजन क्लोराइड पर ऐमोनिया की क्रिया से पहले पहल सायनामाइड तैयार किया। पैरिस से ये आलेसांड्रिया (Alessandiria) केटे क्निकल इंस्टिट्यूट में गए जहाँ उन्होंने कैनिज़ारो अभिक्रिया का आविष्कार किया। इसमें बेंजेलडिहाइड पर ऐल्कोहलीय पोटाश की क्रिया से अम्ल और ऐलकोहल दोनों, बेंज़ेलडिहाइड से बेंजोइक अम्ल ओर बेंजील ऐलकोहल प्राप्त होते हैं। बाद में वे जिनीवा में रसायन के प्राध्यापक, तदनंतर पार्लेर्मो में कार्बन रसायन के प्रध्यापक नियुक्त हुए। वहाँ इन्होंने कार्बनिक यौगिकों, विशेषत: ऐमिनों पर कार्य किया। फिर रोम विश्वविद्यालय में आकर सेंटानिन पर एवं परमाणु और अणुभारों के संबंध पर कार्य करके अणुभार से और पदार्थो की विशिष्ट उष्मा से परमाणुभार निकालने की विधि निकाली। इन आविष्कारों के कारण 1891 ई. में इन्हें रॉयल सोसायटी का कॉप्लि (Copley) पदक मिला। पीछे इटली के सिनेट के उपसभापति और जनशिक्षा परिषद् के सदस्य नियुक्त हुए। इन पदों पर रहते हुए इन्होंने इटली में वैज्ञानिक शिक्षा के प्रसार में बहुत योग प्रदान किया।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं. ग्रं.- टिल्डेन का कैनिज़ारो मेमोरियल लेक्चर (केमिकल सोसायटीं के 1912 के जर्नल में); थॅार्प के एसेज़ इन हिस्टॉरिकल केमिस्ट्री (1894), तृतीय संस्करण।