हेनरिच जुलियस वान क्लैपराथ
हेनरिच जुलियस वान क्लैपराथ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 244 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
हेनरिच ज़ूलियस वान क्लैपराथ (1783-1835 ई.) जर्मन प्राच्य विद्या विशारद्। 11 अक्तूबर से उसने चीनी भाषा सीखनी आरंभ की। 1805 में वह चीन के रूसी दूतावास में दुभाषिया के पद पर नियुक्त हुआ किंतु सीमा पर वह रोक दिया गया। अत: वह साइबेरिया संबंधी भोगोलिक खोज में लग गया। आगे चल कर 1807-08 ई. में उसने काकेशसवार जार्जिया संबंध में खोज की। 1812 में जर्मनी लौटा और तीन वर्ष पश्चात् पेरिस में जा बसा। वहाँ 1816 में एशियाई भाषाओं का प्राध्यापक नियुक्त हुआ। 1802 से ही वह पहले जर्मन बाद में फ्रेंच में अपने भौगोलिक शोध, एशियाई भाषा और नृवंश, मिस्री कीलाक्षर आदि के संबंध में लेख लिखने लगा था। उसकी ख्याति उसके विषय विवेचन में गहन प्रवेश के लिए तो है ही, लोग उसे अन्य विद्वानों के कटु आलोचक के रूप में भी याद करते हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ