अगाथोक्लीज़
अगाथोक्लीज़
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| पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
| पृष्ठ संख्या | 72 |
| भाषा | हिन्दी देवनागरी |
| संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
| प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
| संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
| उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
| कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| लेख सम्पादक | अवधकिशोर नारायण। |
अगाथोक्लीज़ यह सिराकूज़ का निरंकुश शासक था। पहले यह 325 ई. पू. के गृह युद्धों के बाद एक जनतांत्रिक नेता बना। 317 ई. पू. में निरंकुश हो इसने गरीबों को मिलाने और सेना को मजबूत करने की कोशिश की। अपनी शक्ति समृद्धि के सिलसिले में इसका संघर्ष सिसली के यूनानियों और कार्थेज से हुआ। प्रारंभ में कुछ सफलता मिली, पर अंतत कार्थेज के लोगों ने इसे मार भगाया और वह सिराकुज में बंद हो गया। बाद में इसने अपनी हार का बदला अफ्रीका में कार्थेज को हराकर लेना चाहा पर उसमें भी इसे विशेष सफलता नहीं मिली। इटली में भी इसने कई लड़ाइयाँ लड़ीं। इसके जीवन का अंतिम काल भयानक पारिवारिक अशांति में बीता। इसने अपनी वसीयत में वंशगत उत्तराधिकारी की निंदा कर सिराकूज़ को पुन स्वतंत्रता दी। पश्चिमी यूनानियों में यही अकेला हेलेनिक राजा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ